Thursday, 09 October 2025

मुम्बई

मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल में काला जादू और तंत्र-मंत्र : 1500 करोड़ का गबन, तीन एफआईआर

paliwalwani
मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल में काला जादू और तंत्र-मंत्र : 1500 करोड़ का गबन, तीन एफआईआर
मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल में काला जादू और तंत्र-मंत्र : 1500 करोड़ का गबन, तीन एफआईआर

मुंबई.

मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल को संचालित करने वाले चैरिटेबल ट्रस्ट ने पूर्व ट्रस्टियों और संबंधित व्यक्तियों पर 1500 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया है।

लीलावती किर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय और बांद्रा पुलिस स्टेशन में अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई हैं। ट्रस्ट ने यह भी दावा किया है कि अस्पताल परिसर में पूर्व ट्रस्टियों और उनके सहयोगियों द्वारा काला जादू किया गया था। ट्रस्ट का दावा है कि अस्पताल परिसर में काला जादू से जुड़ी कुछ सामग्रियां जैसे मानव खोपड़ियां मिलीं।

शिकायतों में कहा गया है कि लीलावती अस्पताल के वित्तीय रिकॉर्ड की फोरेंसिक ऑडिट में यह भारी वित्तीय हेराफेरी उजागर हुई, जिससे ट्रस्ट की संचालन व्यवस्था और इस प्रमुख निजी अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा है।

अस्पताल के ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने कहा, “हमने जो शिकायतें दर्ज कराईं, वे बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर में तब्दील हुईं। पूर्व ट्रस्टियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ तीन से अधिक एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। अब एक चौथी शिकायत भी अदालत में लंबित है, जो बांद्रा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी। यह काले जादू और तांत्रिक गतिविधियों से जुड़ी हुई है।

बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी आरोपियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। मेहता ने कहा कि लीलावती किर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की गरिमा और पारदर्शिता को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है, ताकि अस्पताल की सेवाओं का सही इस्तेमाल जरूरतमंद मरीजों के लिए हो सके। “फोरेंसिक ऑडिट में सामने आई अनियमितताएं न केवल ट्रस्ट के भरोसे के साथ विश्वासघात हैं, बल्कि अस्पताल की मूलभूत कार्यप्रणाली के लिए भी खतरा हैं। हम इस गबन में शामिल सभी लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय से अपील की कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत इन आर्थिक अपराधों की तत्काल और प्रभावी जांच की जाए।

ट्रस्ट को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जब नियंत्रण मिला, तो वर्तमान ट्रस्टियों ने अस्पताल के वित्तीय लेनदेन में बड़ी अनियमितताएं पाईं और फोरेंसिक ऑडिट का निर्णय लिया। चेतन दलाल इन्वेस्टिगेशन एंड मैनेजमेंट सर्विसेज और ADB एंड एसोसिएट्स को ऑडिट के लिए नियुक्त किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टियों द्वारा बड़े पैमाने पर हेराफेरी, वित्तीय हेरफेर और धन की हेराफेरी की गई।

मेहता ने बताया फोरेंसिक ऑडिट की पांच से अधिक रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट हुआ है कि 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि गबन की गई। यह पैसा पूर्व ट्रस्टियों द्वारा हेराफेरी से निकाला गया, जिनमें से अधिकांश एनआरआई हैं और दुबई व बेल्जियम में रहते हैं।” ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर बांद्रा पुलिस स्टेशन में तीन शिकायतें दर्ज कराई गईं। इन मामलों की जांच अब आर्थिक अपराध शाखा कर रही है।

तीसरी एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 1,200 करोड़ रुपये की वित्तीय हेराफेरी अस्पताल के लिए थर्ड-पार्टी डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ गैरकानूनी लेनदेन के जरिए की गई। इसके अलावा गुजरात में भी लीलावती अस्पताल से जुड़े कीमती सामान की चोरी से संबंधित एक और मामला जांच के अधीन है।

प्रशांत मेहता ने यह भी दावा किया कि अस्पताल परिसर में काला जादू और तांत्रिक गतिविधियों के प्रमाण मिले हैं। “हमने परिसर में सात से अधिक कलश पाए, जिनमें मानव बाल और खोपड़ियां थीं। यह हमारे लिए चौंकाने वाली बात थी।” वर्तमान ट्रस्टियों ने स्पष्ट किया कि वे अस्पताल की गरिमा और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी कार्रवाई जारी रखेंगे और दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा।

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