मध्य प्रदेश

कर्मचारी उच्च वेतनमान केस : हाईकोर्ट ने कहा न्याय पालिका से टकराव की स्थिति न बनने दे सरकार

ayush paliwal
कर्मचारी उच्च वेतनमान केस : हाईकोर्ट ने कहा न्याय पालिका से टकराव की स्थिति न बनने दे सरकार
कर्मचारी उच्च वेतनमान केस : हाईकोर्ट ने कहा न्याय पालिका से टकराव की स्थिति न बनने दे सरकार
  1. कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अब भी राज्य निर्णय लेने में और समय लगाएगी तो ऐसी स्थिति पैदा होगी जहां न्याय पालिका और कार्य पालिका आमने-सामने होंगी, जो न्याय प्रशासन के हित में नहीं है.

जबलपुर.

कर्मचारी उच्च वेतनमान केस : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले में दो टूक कहा कि न्याय पालिका से टकराव से बचने के लिए सरकार जल्द से जल्द गतिरोध दूर करे. हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि 31 जुलाई 2024 तक पूर्व आदेश के पालन संबंधी रिपोर्ट पेश करें या फिर बताएं क्यों न कड़ी कार्रवाई की जाए.

सरकार को दी आखिरी मोहलत 

चीफ सेक्रेटरी वीरा राणा ने वर्चुअली हाजिर होकर कोर्ट से कहा कि वर्तमान में विधानसभा का सत्र जारी है, इसलिए कुछ मोहलत दे दी जाए. सीएस के बयान को रिकॉर्ड पर लेकर एक्टिंग चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की खंडपीठ ने सरकार को अंतिम मोहलत देते हुए 3 हफ्ते में आदेश पालन के निर्देश दिए. अवमानना मामले में गुरुवार को सुरक्षित रखा और फैसला शुक्रवार को आया.

दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार 7 साल से चुप्पी साधे बैठी : कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार इस मामले में पिछले सात साल से चुप्पी साधे बैठी है. आश्चर्य का विषय यह है कि चीफ जस्टिस की अनुशंसा के बावजूद सरकार टालमटोल कर रही है. कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अब भी राज्य निर्णय लेने में और समय लगाएगी तो ऐसी स्थिति पैदा होगी जहां न्याय पालिका और कार्य पालिका आमने-सामने होंगी, जो न्याय प्रशासन के हित में नहीं है.

सरकार ने 21 मई 2022 को पेश की थी रिपोर्ट

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले के लिए बनी विशेष कमेटी की रिपोर्ट 21 मई 2022 को सरकार ने सीलबंद लिफाफे में पेश की थी। इसके पहले कोर्ट के आदेशों के परिपालन का रास्ता निकालने एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव और एडीशनल चीफ सेक्रेटरी शामिल थे।

ये है मामला : गौरतलब है कि हाईकोर्टकर्मी किशन पिल्लई सहित 109 कर्मचारियों ने उच्च वेतनमान और भत्ते देने के लिए 2016 में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने 2017 में राज्य सरकार को आदेश जारी किए थे। पालन नहीं होने पर 2018 में अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई। पूर्व में चीफ जस्टिस ने हाईकोर्ट कर्मचारियों के लिए उच्च वेतनमान की सिफारिश की थी।

कैबिनेट ने अनुशंसा को अस्वीकर कर दिया

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कंपलायंस रिपोर्ट पेश कर बताया कि यदि अनुशंसा को मान लिया जाएगा तो सचिवालय और अन्य विभागों में कार्यरत कर्मियों से भेदभाव होगा। वे भी उच्च वेतनमान की मांग करेंगे। इसलिए कैबिनेट ने अनुशंसा को अस्वीकर कर दिया है।

मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को मिलेगा अतिशीघ्र लाभ 

कर्मचारी नेताओं ने बताया कि काफी समय से संघर्ष कर रहे कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट का निर्णय एक मिल का पत्थर साबित होगा. हाईकोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले में दो टूक कहा कि न्याय पालिका से टकराव से बचने के लिए सरकार जल्द से जल्द गतिरोध दूर करे. हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि 31 जुलाई 2024 तक पूर्व आदेश के पालन संबंधी रिपोर्ट पेश करें या फिर बताएं क्यों न कड़ी कार्रवाई की जाए. इस निर्देश से प्रदेश में हजारों कर्मंचारियों के चेहरे पर एक नई मुस्कान आई. 

विभिन्न संगठनों से जूड़े पदाधिकारीगण में लीलाधर करोसिया, बाबूलाल सिरसिया, सुनील बंसल, मेघदूत गार्डन प्रभारी महेश बान्गे उपाध्यक्ष राजेश सोनकर, मधुसूदन तिवारी, संजय यादव, केदार यादव, दिनेश कौशल, शकील पठान, दिनेश यादव ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब अधिकांश कर्मचारियों को उनको मिलने वाले लाभ से वंचित किया जा रहा था, वो अड़चने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश से दूर हो गई. अब कर्मचारियों को मिलने वाले सभी लाभ अतिशीघ्र मिलने की आशा जाग गई. उक्त जानकारी मस्टर कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष प्रवीण तिवारी एवं मीडिया प्रभारी अनिल यादव ने पालीवाल वाणी को दी.

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News