मध्य प्रदेश

तृतीय सविता कथा सम्मान दिल्ली की विजयश्री तनवीर को देने का निर्णय

Paliwalwani
तृतीय सविता कथा सम्मान दिल्ली की विजयश्री तनवीर को देने का निर्णय
तृतीय सविता कथा सम्मान दिल्ली की विजयश्री तनवीर को देने का निर्णय

जबलपुर :

तृतीय सविता कथा सम्मान वर्ष 2024 दिल्ली की कथाकार विजयश्री तनवीर को देने का निर्णय आज यहां आयोजन समिति द्वारा लिया गया। यह कथा सम्मान अगले वर्ष 7 मार्च 2024 को प्रदान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष हिन्‍दी कहानी में अप्रतिम योगदान देने वाली महिला कथाकार को सविता दानी की स्‍मृति में ‘सविता कथा सम्‍मान’ प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि प्रथम सविता कथा सम्मान रायपुर की श्रद्धा थवाईत व द्वितीय सम्मान दिल्ली की अकांक्षा पारे काश‍िव को प्रदान किया गया था। सविता कथा सम्मान चयन समिति में पहल के संपादक व विख्‍यात कथाकार ज्ञानरंजन, कथाकार राजेन्‍द्र दानी, डा. योगेन्द्र श्रीवास्तव, कथाकार पंकज स्‍वामी व शरद उपाध्याय हैं। 

7 मार्च को 'सविता दानी कथा सम्‍मान' समारोह का आयोजन जबलपुर में किया जाएगा। समारोह में सम्‍मानित होने वाली महिला कथाकार विजयश्री तनवीर को प्रशस्ति के साथ ग्‍यारह हजार रूपए की सम्‍मान निधि भेंट की जाएगी। समारोह में हिन्‍दी कहानी पर गंभीर विचार विमर्श के साथ एक वरिष्‍ठ कथाकार का कहानी पर केन्द्रित वक्‍तव्‍य भी होगा। इसके साथ सम्‍मानित महिला कथाकार अपनी सृजनधर्मिता पर वक्‍तव्‍य देंगी।

कथाकार विजयश्री तनवीर कुछ समय हिन्दी पत्रकारिता से जुड़ी रहीं। उनकी प्रकाशित पुस्तकें तपती रेत पर ' (कविता संग्रह), अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार ' (कहानी संग्रह) सिस्टर लिसा की रान पर रुकी हुई रात (कहानी संग्रह) हैं। हंस , तद्भव, आजकल , वागर्थ, पाखी, जैसी लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में कविताएँ , कहानियाँ, आलेख  प्रकाशित हुए हैं। विजयश्री तनवीर की कहानी 'गांठ' हंस कथा सम्मान से सम्मानित हुई है।

विजयश्री तनवीर अपनी कहानियों में समाज में घटित मानवीय संवेदनाओं को बहुत बारीकी से उकेरती हैं और अपने तीखे पर प्रभावपूर्ण सत्यों कों प्रबुद्ध पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। उनकी कहानियों की भाषा सरस और प्रवाहमयी है। विजयश्री तनवीर की कहानियों का एकदम नया शिल्प और शैली है इसलिए कहानियाँ अनायास ही पाठक के भीतर गहरे उतर जाती हैं। इन कहानियों का सबसे प्रबल पक्ष यह है कि सभी कहानियों में कहीं-न-कहीं पाठक ख़ुद से रू-ब-रू होते हैं और कमज़ोरी यह कि ये कहानियाँ  बेचैन और बहुत बेचैन करती हैं।

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