जयपुर

राजस्थान के बड़े निजी अस्पतालों द्वारा इलाज से इंकार करने पर भजन सरकार की छवि खराब...!

S.P.MITTAL BLOGGER
राजस्थान के बड़े निजी अस्पतालों द्वारा इलाज से इंकार करने पर भजन सरकार की छवि खराब...!
राजस्थान के बड़े निजी अस्पतालों द्वारा इलाज से इंकार करने पर भजन सरकार की छवि खराब...!

आरजीएचएस में भ्रष्टाचार कर करोड़ों कमाने और ईमानदारी के साथ इलाज करने वाले निजी अस्पतालों में भेद होना चाहिए

जयपुर. राजस्थान में 12 लाख ऐसे सरकारी कर्मचारी हैं उन्हें गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) के तहत निजी अस्पतालों में इलाज की फ्री सुविधा है। यानी ऐसे कार्मिकों के इलाज पर खर्च होने वाली राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। यह सही है कि प्रदेश के अनेक निजी अस्पताल इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार कर रहे है। सरकारी कार्मिकों की कागजी एंट्री दिखाकर सरकार से लाखों रुपया वसूला जा रहा है।

सरकार इन निजी अस्पतालो पर अंकुश लगाने का काम कर रही है, लेकिन इसका खामियाजा उन प्रतिष्ठित निजी अस्पतालों को उठाना पड़ रहा है जो पूर्ण ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ सरकारी कार्मिकों का इलाज करते हैं। प्रदेश में ऐसे कई बड़े अस्पताल है, जहां डॉक्टर की फीस 800 रुपए तक ली जाती है, लेकिन सरकारी कार्मिकों के लिए सरकार ने मात्र 350 रुपए ही निर्धारित कर रखे है।

इसी प्रकार भर्ती होने पर कमरे का किराया 8 हजार रुपए तक लिया जाता है, लेकिन राज्य सरकार अधिकतम 3 हजार रुपए देती है। ऐसे में बड़े निजी अस्पतालों की रुचि सरकार की हेल्थ स्कीम में कार्मिकों का इलाज करने की नहीं होती, लेकिन सरकार के दबाव में निजी अस्पताल सरकारी कार्मिकों का इलाज करते हैं। मौजूदा समय में सबसे बड़ी समस्या निजी अस्पतालों का सरकार पर पांच सौ करोड़ रुपए बकाया होना है।

यानी इन अस्पतालों के इलाज तो कर दिया, लेकिन सरकार इलाज का भुगतान नहीं कर रही है। यही वजह है कि बड़े अस्पतालों ने सरकारी कार्मिकों का इलाज करने से मना कर दिया है। इसका ताजा उदाहरण जयपुर का महावीर कैंसर अस्पताल है। विधायक मनोज न्यांगली ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिख कर बताया कि उनकी माताजी का इलाज करने से महावीर कैंसर अस्पताल ने मना कर दिया है।

अस्पताल प्रबंधन ने दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार ने बकाया भुगतान नहीं किया है, इसलिए अब हेल्थ स्कीम में फ्री का इलाज नहीं किया जाएगा। प्रदेश के बड़े अस्पताल भले ही महावीर कैंसर अस्पताल की तरह दिलेरी न दिखा रहे हो, लेकिन आने वाले सरकारी कार्मिकों को बहाने बाजी कर भगा रहे है।

निजी अस्पतालों का यह कथन सही है कि करोड़ों रुपया बकाया होने के कारण इलाज नहीं किया जा सकता। असल में सरकार को अब भ्रष्टाचार करने वाले और ईमानदारी पारदर्शिता के साथ इलाज करने वाले निजी अस्पतालों में भेद करना होगा। भ्रष्टाचार की आड़ लेकर सरकार ईमानदार अस्पतालों का बकाया नहीं रोक सकती।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा माने या नहीं, लेकिन निजी अस्पतालों में इलाज नहीं होने अथवा इलाज में अड़चन होने से सरकारी कार्मिकों में नाराजगी है। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। सरकार को चाहिए कि बड़े अस्पतालों की बकाया राशि का भुगतान तत्काल करें ताकि सरकारी कार्मिकों का इलाज होता रहे।

सरकार में बैठे अधिकारियों को भी यह समझना चाहिए कि बड़े अस्पतालों को सरकार की हेल्थ स्कीम में भ्रष्टाचार करने की जरुरत नहीं है। क्योंकि अनेक अस्पतालों में तो उन मरीजों की भीड़ है जो मुंह मांगी फीस देने को तैयार है। भ्रष्टाचार वो ही अस्पताल कर रहे है जिनके यहां मरीज नहीं आते। 

S.P.MITTAL BLOGGER 

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