इंदौर

भगवान शिव से सीखना चाहिए, एक –दूसरे के शत्रुओं के साथ कैसे रहा जाए : संत रामप्रसाद

sunil paliwal-Anil paliwal
भगवान शिव से सीखना चाहिए, एक –दूसरे के शत्रुओं के साथ कैसे रहा जाए : संत रामप्रसाद
भगवान शिव से सीखना चाहिए, एक –दूसरे के शत्रुओं के साथ कैसे रहा जाए : संत रामप्रसाद

कैट रोड स्थित एमराल्ड परिसर में शिव महापुराण महायज्ञ का अनुष्ठान : भजनों पर थिरक रहे श्रद्धालु

इंदौर :

एक दूसरे के विपरीत स्वभाव के लोगों को एक साथ रखने का गुण भगवान शिव से सीखना चाहिए। शिव के गले में सर्प और गणेशजी की सवारी चूहा – दोनों ही एक दूसरे के दुश्मन है। इसी तरह शिवजी के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है जो सांप का शत्रु है। शिव का वाहन नंदी और मां पार्वती का वाहन शेर, ये दोनों भी एक-दूसरे के दुश्मन होते हुए शिव परिवार के ही अंग है।

5 जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर 2 से सायं 5 बजे तक होगी

रामस्नेही संप्रदाय के बड़ौदा से आए राष्ट्रसंत रामप्रसाद महाराज ने आज कैट रोड स्थित एमराल्ड परिसर पर चल रहे शिव महापुराण महायज्ञ में उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व अ.भा. कांग्रेस कमेटी के सचिव सत्यनारायण पटेल, समाजसेवी मदन परमालिया, श्रीमती वनीता –प्रवीण हरगांवकर, हर्षला-वियन हरगांवकर एवं डॉ. पायल हरगांवकर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा के दौरान मनोहारी भजनों पर भक्तों के थिरकने का क्रम भी आज से शुरू हो गया है। कथा एमराल्ड परिसर में 5 जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर 2 से सायं 5 बजे तक होगी। आज शाम नए वर्ष की अगवानी में सुंदरकांड के पाठ का दिव्य आयोजन भी किया गया, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने शामिल होकर नए वर्ष में पूरे विश्व में सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की।

परिवार को जोड़ने सहित सात तरह की समृद्धि प्राप्त होती

 संत रामप्रसाद महाराज ने कहा कि शिव पुराण के श्रवण से ज्ञान, धन, सत्संग, स्वास्थ्य और समाज एवं परिवार को जोड़ने सहित सात तरह की समृद्धि प्राप्त होती है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान तो है ही, स्वास्थ्य और परिवार का भी संवर्धन होता है। गृहस्थी की गाड़ी को सही तरीके से चलाने के लिए जरूरी है कि हम ‘शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कम खाना सीखो और मन को स्वस्थ रखना हो तो गम खाना सीखे’ वाली कहावत को अमल में लाएं। आजकल ज्यादा खाने वाले लोग ज्यादा बीमार होते हैं। जीवन में मुस्कुराहट का भी बहुत महत्व है। जिस तरह तबले के बजाने के पहले पावडर डालकर चढ़ाना पड़ता है और बजाने के बाद वापस उतारना जरूरी होता है, उसी तरह मस्तिष्क रूपी तबले को चौबीस घंटे चढ़ाकर रखेंगे तो खराब हो जाएगा।

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