इंदौर
देशभर में मशहूर इंदौर की सराफा चौपाटी नहीं हटेंगी : सुरक्षा और स्वच्छता के मुद्दे पर सख्त रुख
sunil paliwal-Anil Bagora
इंदौर.
इंदौर की सराफा चौपाटी अपने स्वाद और खानपान के लिए देशभर में मशहूर है। हाल के दिनों में यहां संचालित 120 दुकानों को हटाने की मांग तेज़ हो गई है। सराफा एसोसिएशन का तर्क है कि 80 पारंपरिक फूड स्टॉल्स को छोड़कर बाद में स्थापित हुई इन 120 दुकानों को हटाया जाना चाहिए।
सराफा चौपाटी का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है। पाँच दिन पहले यह निर्णय लिया गया था कि 1 सितंबर से यहाँ केवल 80 पारंपरिक दुकानों को छोड़कर बाकी 120 अवैध दुकानों को हटाया जाएगा। सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य व्यवस्थागत कारणों का हवाला देते हुए सराफा एसोसिएशन ने यह कदम उठाने का प्रस्ताव रखा था। एसोसिएशन की मांग पर नगर निगम ने जांच की और हाल ही में सिर्फ 80 दुकानदारों को ही खानपान का कारोबार जारी रखने की अनुमति दी। वहीं, अन्य 120 दुकानदारों को 1 सितंबर से अपनी दुकानें हटाने के निर्देश दिए गए। इन दुकानों से सराफा के कई कारोबारियों को अच्छी-खासी किराया आय भी होती रही है।
उधर, चाट चौपाटी एसोसिएशन के अध्यक्ष राम गुप्ता ने आश्वस्त किया कि बाजार से जुड़ी सभी कमियों को दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षा, समय पर दुकानें लगाना और स्वच्छता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता रहेगी और इन सभी बिंदुओं पर पूरा अमल किया जाएगा। वर्तमान में दुकानें लगाने का समय रात 9 बजे तय है, लेकिन कुछ दुकानदार इससे पहले ही दुकानें खोल लेते हैं। गुप्ता ने कहा कि आगे से जिस समय का निर्धारण किया जाएगा, सभी दुकानदार उसी समय पर दुकानें लगाएंगे, ताकि किसी के कारोबार में कोई बाधा न आए।
इस सप्ताह सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी ने कई बार सराफा व्यापारियों के साथ बैठकें कीं। उन्होंने दुकानदारों से अपील की कि वे अपनी दुकानों के सामने लगाई गई खान-पान की दुकानों को हटाएँ। हालांकि, दुकानों को हटाने के मुद्दे पर अब तक सहमति बनती नहीं दिख रही है।
सोनी ने बताया कि चौपाटी का बाजार रात 10 बजे के बाद शुरू करने पर सहमति बन रही है, लेकिन दुकानों को पूरी तरह हटाने को लेकर अभी एकराय नहीं बन पाई है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग तो यही है कि पूरी चौपाटी को हटाया जाए। सुरक्षा और स्वच्छता के मामलों पर हम पूरी तरह गंभीर हैं और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सराफा कारोबारी बताते हैं कि चाट चौपाटी के लिए समय से पहले दुकानें लगाने वाले उन्हें दिक्कत में डालते हैं। उनका कहना है कि चौपाटी की वजह से सोने-चांदी की दुकानें शाम को जल्दी बंद करनी पड़ती हैं, जिससे कारोबार पर सीधा असर पड़ता है। साथ ही, बड़ी संख्या में गैस सिलेंडरों के इस्तेमाल से रातभर आगजनी का खतरा बना रहता है।
शाम 7 बजे से ही चौपाटी की दुकानें लगने लगती हैं, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या भी बढ़ जाती है। कारोबारी मांग कर रहे हैं कि सराफा बाजार का व्यापार कम से कम रात 10 बजे तक निर्बाध रूप से चलना चाहिए।