इंदौर
संत भय्यू महाराज के 12 लड़कियों से थे रिलेशन : दो आईएएस भी
Paliwalwaniबहुचर्चित राष्ट्र संत भय्यू महाराज सुसाइड केस की शुरुआती जांच पुलिस साधारण केस मानकर कर रही थी. तब फर्स्ट इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रहे आईएएस मनोज रत्नाकर घरेलू विवाद में सुसाइड की रिपोर्ट पेश कर चुके थे. केस के खात्मे की तैयारी थी. दो महीने बाद महाराज के करीबी एडवोकेट निवेश बड़जात्या को 5 करोड़ की डिमांड का कॉल आया. इसी डिमांड कॉल ने महाराज के सारे राज भी खोल दिए. धमकाने वाला महाराज का ही ड्राइवर रह चुका कैलाश पाटिल निकला. पुलिस ने उसे उठाया और जब पूछताछ की, तो महाराज के सेवादार विनायक, शरद और शिष्या पलक के गठजोड़ का पता चला.
भय्यू महाराज सुसाइड केस की शुरुआती जांच पुलिस साधारण केस मानकर कर रही थी। तब फर्स्ट इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर रहे CSP मनोज रत्नाकर घरेलू विवाद में सुसाइड की रिपोर्ट पेश कर चुके थे। केस के खात्मे की तैयारी थी। दो महीने बाद महाराज के करीबी एडवोकेट निवेश बड़जात्या को 5 करोड़ की डिमांड का कॉल आया। धमकाने वाला महाराज का ही ड्राइवर रह चुका कैलाश पाटिल निकला। पुलिस ने उसे उठाया और जब पूछताछ की, तो महाराज के सेवादार विनायक, शरद और शिष्या पलक के गठजोड़ का पता चला। इन तीनों को कोर्ट ने छह-छह साल की सजा सुनाई है।
उसने यह भी कबूला कि वह कई बार महाराज की गाड़ी से पलक को घर से आश्रम लाने और ले जाने का काम कर चुका है। गाड़ी में पलक जो भी बातें विनायक और शरद से करती थी, वो उसके ध्यान में है। इसी सिरे को पकड़कर पुलिस ने तीनों आरोपियों के शरद, विनायक और पलक के बयान लिए। पता चला कि तीनों मिलकर भय्यू महाराज को आत्महत्या के लिए उकसा रहे थे। पुलिस की इन्वेस्टिगेशन में यह भी सामने आया कि महाराज के 12 लड़कियों से रिलेशन थे। इनमें 2 तो आईएएस अफसर भी हैं।
भय्यू महाराज ने 12 जून, 2018 को खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया था। इस केस में दो महीने तक पुलिस के पास कोई लीड नहीं थी। तत्कालीन DIG हरिनारायण चारी मिश्र (अब इंदौर पुलिस कमिश्नर) ने इस केस पर लगातार निगाह रखने को कहा था। ऐसे में जो पुलिस केस के खात्मे की तैयारी में थी, उसी ने महाराज की सुसाइड के 6 महीने बाद विनायक, पलक और शरद को गिरफ्तार कर चौंका दिया।
एक फोन कॉल और खुलती गईं परतें…
भय्यू महाराज सुसाइड केस में पुलिस ने शुरुआत में 20 से ज्यादा लोगों के बयान लिए। परिवार के भी कुछ लोगों के बयान हुए। इसी बीच भय्यू महाराज से 22 साल से जुड़े ओल्ड पलासिया निवासी एडवोकेट निवेश बड़जात्या को अनजान फोन आया। 5 करोड़ की डिमांड की गई। एमआईजी थाना पुलिस ने जिस ब्लैकमेलर को पकड़ा, वो महाराज का ड्राइवर रह चुका कैलाश पाटिल था। महाराज ने उसे नौकरी से निकाल दिया था। उसे लग रहा था कि एडवोकेट के पास काफी पैसा है। धमकाने पर आसानी से दे देगा। उससे ही पता चला कि महाराज अपनों की वजह से ही बेहद तनाव में थे। कैलाश की दी जानकारी के बाद पुलिस ने महाराज सुसाइड केस की डायरी फिर खोली और नए सिरे से जांच की।
ड्राइवर के बयान से आगे बढ़ी जांच
ड्राइवर कैलाश पाटिल ने कहा- मैं साल 2004 से भय्यू महाराज की गाड़ी चला रहा था। बहुत कम पढ़ा-लिखा हूं। अंग्रेजी नहीं आती थी, लेकिन महाराज के साथ रहते हुए अंग्रेजी समझने लगा था। महाराज मेरे सामने ही कार में लड़कियों से बात करते थे। सोनिया, पलक, शालिनी, मल्लिका… 12 लड़कियों से महाराज के संबंध थे। इनमें दूसरे राज्य की दो महिला आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं। विनायक और शेखर को सब पता है। दोनों के पास लड़कियों के फोन आते थे। मुझे पता है कि दोनों ने रुपए ऐंठने का प्लान बनाया था। मुझे 6 महीने के लिए कुहू के पास पुणे भेजा। ब्लैकमेल करने वाली लड़की (पलक) महाराज की विश्वसनीय मनमीत के घर के सामने रहती थी। मनमीत ने विनायक और शेखर से मिलवाया था। उसे आश्रम में रखवा दिया और कामकाज संभालने लगी।