इंदौर
Indore news : पीली गैंग आई और टूट पड़ी..! रास्ते पर...आ गए, बुजुर्ग व्यापारी पलभर में...!
paliwalwaniइंदौर.
इंदौर में निगम की "पीली गैंग" कई मर्तबा "माथा देखकर तिलक लगाने" की कहावत को चरितार्थ करती रही है... एक तरफ "सेटिंग" से "अतिक्रमण" को बढ़ावा दिया जाता है, तो दूसरी तरफ "तोड़फोड़" के नाम पर "मानवता" को भी ताक पर रख दिया जाता है... ऐसा ही एक ताजा मामला पालदा के अभिलाषा नगर से सामने आया है... निगम द्वारा आज जो यहां "तोड़फोड़" कर एक मकान तथा उसके नीचे 1100 स्क्वायर फीट की दुकान को जमींदोज किया गया उसमें एक और "परदे के पीछे की कहानी" निकाल कर सामने आ रही है...!
बताया जा रहा है कि निगम कैसे कार्रवाई से पहले ना तो मकान मालिक बालाराम तिवारी को कोई सूचना या नोटिस दिया गया और ना ही दुकान के 70 वर्षीय बुजुर्ग किराएदार अशोक पारीख को इसकी सूचना निगम या मकान मालिक द्वारा दी गई... श्री पारीख बताते हैं कि मेरे घर पर कल रात सुंदरकांड पाठ का आयोजन था और इसके बाद सुबह जब मैं दुकान पहुंचा तो देखा कि नगर निगम की टीम दुकान और मकान तोड़ने आ गई...
जब निगम के जिम्मेदारों से कहा कि इस बारे में हमें कोई जानकारी पहले से क्यों नहीं दी गई और ना ही आपके द्वारा कोई नोटिस हमें मिला है और आप अचानक हमारी दुकान तोड़ने आ गए... इस पर निगम के जिम्मेदार बोले कि हमने पूर्व में सूचना मकान मालिक को दे दी थी... वही जब दुकान के किराएदार ने दुकान और मकान मालिक तिवारी से इस बारे में पूछा तो वह बोले कि मुझे भी आज होने वाली इस कार्रवाई की कोई जानकारी नहीं थी...
वही श्री पारीख बताते हैं कि यह दुकान हमने 24000 रुपए महीने में किराए से ली थी और दुकान मालिक के पास ₹40000 एडवांस भी जमा किए थे... अगर हमें पता होता कि यह दुकान अवैध है और यहां पर इस तरह की कोई कार्रवाई होना है, तो हम यह दुकान किराए से नहीं लेते... इसके बाद श्री पारीख ने निगम के जिम्मेदारों से हाथ जोड़कर विनती की कि इस 1100 स्क्वायर फीट दुकान के अंदर मेरे लाखों की दाल मिल मशीनरी के पार्ट्स रखे हुए हैं...
मुझे दुकान खाली करने के लिए कुछ घंटे की मोहलत ही दे दीजिए... काफी मन मनौवल के बाद जैसे तैसे श्री पारीख अपना ऑटो पार्ट्स का सामान आधा ही निकल सके और निगम ने बुलडोजर चला दिया, जिससे दुकान के अंदर रखा आधे से ज्यादा सामान मलबे के अंदर ही दब गया... अब इसे नगर निगम की "अमानवीयता" कहें या अवैध दुकान का किराया लेने वाले की "चालाकी"...? वहीं "दबी जुबान" से इस पूरी कार्रवाई में किसी "धन्ना सेठ" का नाम भी लिया जा रहा है...
मामला जो भी हो, लेकिन इस पूरे प्रकरण में बुजुर्ग व्यापारी का ही अधिक नुकसान हुआ और वे "रास्ते पर" आ गए तथा उनसे जुड़े कई मजदूर फिलहाल अपनी रोजी-रोटी से हाथ भी धो बैठे हैं..! इस तरह के मामले पहले भी प्रकाश में आ चुके हैं..!
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