इंदौर
इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट खटाई में : रोबोट चौराहा से एयरपोर्ट रूट ठंडे बस्ते में
राजेश ज्वेल-
ताई के विरोध के चलते टेंडर सहित सारी प्रक्रिया मेट्रो रेल कार्पोरेशन को करना पड़ेगी ठप.
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14 किलोमीटर का हिस्सा बने बिना मेट्रो की रिंग पूरी भी नहीं होगी
राजेश ज्वेल ...✍️
अग्निबाण ने कल ही यह खबर प्रकाशित की थी कि मेट्रो एलिवेटेड रहेगी या अंडरग्राउंड…ये शहर के नेता तय करेंगे या विशेषज्ञ…? मेट्रो रेल कार्पोरेशन के इंदौर आए एमडी ने जहां चल रहे प्रोजेक्ट की समीक्षा की और मैदानी अवलोकन भी किया, वहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ताई से भी उनके घर जाकर मुलाकात की। दरअसल ताई ने एमजी रोड से मेट्रो चलाने का विरोध करते हुए धरने पर बैठने की धमकी तक दे डाली है। अगर ऐसा ही रहा तो इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट खटाई में पड़ जाएगा और 14 किलोमीटर के रूट के लिए टेंडर सहित सारी प्रक्रिया मेट्रो रेल कार्पोरेशन को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालना पड़ेगी। लगभग 31 किलोमीटर के पहले चरण में ही इतनी अड़चनें आ रही हैं , जिसमें से अब 17 किलोमीटर के हिस्से पर काम की गति बढ़ी है मगर अब 14 किलोमीटर में मध्य क्षेत्र के हिस्से में नेताओं की आपत्तियां आने लगी.
इंदौर मेट्रो की जो रिंंग पहले चरण में पूरी होना है वह एयरपोर्ट से लेकर गांधी नगर, सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 होते हुए विजय नगर, रेडिसन और रोबोट चौराहा और उसके बाद फिर खजराना-बंगाली चौराहा, वहां से कनाडिय़ा रोड होते हुए पलासिया। उसके बाद एमजी रोड, रीगल, कोठारी मार्केट, राजबाड़ा से छोटा-बड़ा गणपति, रामचंद्र नगर से एयरपोर्ट तक बनना है। इस 31 किलोमीटर के पहले चरण में से अभी 17 किलोमीटर के हिस्से में दिलीप बिल्डकॉन और रेल विकास निगम द्वारा काम किया जा रहा है, जो कि एयरपोर्ट से रोबोट चौराहा तक चलेगा। अब इसके बाद 14 किलोमीटर के हिस्से के लिए टेंडर सहित अन्य प्रक्रिया मेट्रो रेल कार्पोरेशन अभी करने जा रहा था, लेकिन ताई सहित अन्य नेताओं ने मध्य क्षेत्र को लेकर आपत्तियां उठा ली हैं। खासकर रीगल से लेकर राजबाड़ा और उसके बाद रामचंद्र नगर तक एलिवेटेड या अंडरग्राउंड लाइन डले इस पर विवाद चल रहा है।
अभी भोपाल से आए कार्पोरेशन के एमडी और नगरीय प्रशासन आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव ताई से मिलने उनके घर पहुंचे और साथ में निगमायुक्त प्रतिभा पाल भी मौजूद रहीं। ताई ने एमजी रोड से मेट्रो ले जाने का विरोध किया है। उन्होंने विकल्प के रूप में सुभाष मार्ग वाला रूट बताया है। ताई एलिवेटेड कॉरिडोर के पक्ष में भी नहीं हैं। साथ ही गांधी हॉल, राजबाड़ा, गोपाल मंदिर जैसी पुरातत्व इमारतों को नुकसान पहुंचने का अंदेशा भी जताया है। हालांकि मध्य क्षेत्र में विशेषज्ञों ने अंडरग्राउंड लाइन डालने का ही विकल्प दिया है और उसी आधार पर प्रोजेक्ट को तैयार कर राज्य-केंद्र से मंजूरी ली है। अब अगर नए सिरे से परिवर्तन किया जाता है तो टेंडर सहित सारी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली जाएगी और इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट ही खटाई में पड़ जाएगा। अब देखना यह है कि मेट्रो रेल कार्पोरेशन इस मामले में क्या निर्णय लेता है।
दिल्ली मेट्रो ने किया था सर्वे, तब सब चुप रहे
इंदौर के मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर पहले कागजी और फिर मैदानी कवायद लंबे समय तक चलती रही और दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने इसका सर्वे कर रिपोर्ट सौंपी और उसके आधार पर ही डीपीआर तैयार की गई। उस वक्त ताई सहित सारे नेता चुप रहे। जब सर्वे किया जा रहा था उसी वक्त अगर आपत्ति ली जाती तो इतनी प्रक्रिया नहीं होती। अब काम शुरू होने के बाद विरोध किया जाने लगा है।
भीड़भरे इलाकों में ही चलती है मेट्रो, वरना यात्री कहां से मिलेंगे
मेट्रो प्रोजेक्ट तभी सफल हो सकता है जब उसे पर्याप्त यात्री मिलें। देश और दुनिया में भीड़भरे क्षेत्रों में ही मेट्रो चलाई जाती है, ताकि प्रोजेक्ट सफल साबित हो और साथ ही निजी वाहनों की भीड़ से भी मुक्ति मिल सके। अगर इंदौर में एमजी रोड, राजबाड़ा जैसे भीड़भरे क्षेत्रों में मेट्रो नहीं चलाई जाएगी तो यात्री कहां से मिलेंगे और प्रोजेक्ट ही घाटे में चला जाएगा। वैसे भी अभी जितने यात्री चाहिए उतने भी नहीं मिल रहे हैं।
एमजी रोड से बदतर स्थिति है सुभाष मार्ग की
ताई ने एमजी रोड के बजाय सुभाष मार्ग से एयरपोर्ट तक मेट्रो को ले जाने का विकल्प सुझाया है, जबकि जानकारों का स्पष्ट कहना है कि एमजी रोड तो 60 फीट चौड़ा निगम ने कर दिया, जबकि सुभाष मार्ग को 100 फीट चौड़ा किया जाना है और उसमें भी ढेर सारी बाधाएं और विरोध चल रहा है। फिलहाल सुभाष मार्ग 35-40 फीट चौड़ा भी नहीं है और वहां पर भी एमजी रोड जैसी ही दिक्कतें आएंगी।
कैबिनेट ने ही दी साढ़े 7 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी
इंदौर मेट्रो के लिए साढ़े 7 हजार करोड़ की जो मंजूरी ली गई उसे प्रदेश की सरकार ने बाकायदा कैबिनेट में मंजूर किया है। रोहित एसोसिएट्स सिटीज एंड रेल प्रा.लि. ने 94 किलोमीटर लंबे रूट की मास्टर प्लानिंग की है, जिसमें 89 स्टेशन और चार मेट्रो लाइन के साथ दो क्रॉसिंग मेट्रो शहर के भीतरी और बाहरी इलाकों के लिए तैयार करने का प्रोजेक्ट बनाया। अभी पहले चरण में 31.53 किलोमीटर लंबाई के कॉरिडोर पर काम चल रहा है। अब अगर इसमें परिवर्तन किया जाता है तो राज्य से लेकर केंद्र तक नए सिरे से प्रोजेक्ट को भेजकर मंजूर कराना पड़ेगा।
अगले साल सितंबर में 6 किलोमीटर हिस्से पर होना है ट्रायल रन भी
विधानसभा चुनाव से पहले अगले साल सितंबर में शिवराज सरकार लगभग 6 किलोमीटर के हिस्से पर मेट्रो की ट्रायल रन करवाना चाहती है, ताकि उसका चुनावी लाभ उठाया जा सके। नतीजतन अभी गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर और प्राधिकरण के रेलवे ओवरब्रिज तक का जो हिस्सा है उसमें तेज गति से काम चल रहा है। इसी हिस्से में मेट्रो का ट्रायल रन किया जाना है। कल इंदौर आए एमडी श्रीवास्तव ने चल रहे निर्माण कार्य को देखा और काम की गति बढ़ाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। गांधी नगर में 75 एकड़ पर विशाल डिपो का निर्माण भी चल रहा है।