Sunday, 17 August 2025

इंदौर

indoremeripehchan : लोकार्पण समारोह में नहीं पहुंचे तो 'दादा के दरबार' उनका सम्मान करने खुद पहुंच गए 'पत्रकार राणा'

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indoremeripehchan : लोकार्पण समारोह में नहीं पहुंचे तो 'दादा के दरबार' उनका सम्मान करने खुद पहुंच गए 'पत्रकार राणा'
indoremeripehchan : लोकार्पण समारोह में नहीं पहुंचे तो 'दादा के दरबार' उनका सम्मान करने खुद पहुंच गए 'पत्रकार राणा'

इंदौर.

'दादाओं के दादा' शानदार शख्सियत, इंदौरी मीडिया जगत् का जाना-माना नाम. अनेकों अखबारी पेज डिजाइनरों के 'गुरु' जीतू दुबे 'दादा' का सम्मान इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार और 'किस्से कलमगिरी के' के 'रचयिता' कीर्ति राणा ने उनके ऑफिस पहुंचकर किया.

'सम्मान पाने' से ज्यादा 'सम्मान देने' पर विश्वास रखने वाले पत्रकार श्री राणा की उक्त किताब के लोकार्पण समारोह में श्री दुबे भी विशेष तौर पर आमंत्रित थे और उनका नाम मंच से दो-तीन बार पुकारा भी गया, लेकिन वे उपस्थित नहीं थे. जब फोन लगाया तो पता चला कि परिवार में गमी की वजह से श्री दुबे कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके. 

पत्रकार श्री राणा के मन में इस बात की कसक तब से ही थी कि इस किताब में 'पर्दे के पीछे की असल मेहनत' करने वाले जीतू दुबे सम्मान पाने से वंचित रह गए. 'कलमगिरी...' की टाइपिंग/डिजाइनिंग आदि में श्री दुबे ने मेहती भूमिका जो निभाई थी. इसी के चलते मंगलवार शाम पत्रकार कीर्ति राणा खुद 'दादा के दरबार...' यानी ऑफिस पहुंच गए और उन्हें अभिनंदन-पत्र, रजत कलम सहित उक्त पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया. 

सम्मान पाकर जहां 'दादा' गदगद भए, तो वरिष्ठ पत्रकार को भी मिली संतुष्टि. 'दादा' के बारे में एक और विशेष बात बता दूं कि जब किसी अखबार मालिक/सम्पादक आदि को अखबार के लिए पेज डिजाइनरों का टोटा पड़ता है, तो उनका पहला फोन सीधे इनके पास ही जाता है और इंदौर का शायद ही ऐसा कोई अखबार होगा जिसमें 'दादा के पट्ठे' ना हों.

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