इंदौर

Indore News : स्व. नंदकुमार कस्तुरी की स्मृति : आज बच्चों के पास संसाधनों की कमी नहीं, पूरा समाज बच्चों के पीछे खड़ा है : आईएएस अभिलाष मिश्रा

sunil paliwal-Anil Bagora
Indore News : स्व. नंदकुमार कस्तुरी की स्मृति : आज बच्चों के पास संसाधनों की कमी नहीं, पूरा समाज बच्चों के पीछे खड़ा है : आईएएस अभिलाष मिश्रा
Indore News : स्व. नंदकुमार कस्तुरी की स्मृति : आज बच्चों के पास संसाधनों की कमी नहीं, पूरा समाज बच्चों के पीछे खड़ा है : आईएएस अभिलाष मिश्रा

इंदौर. स्व. नंदकुमार कस्तुरी की स्मृति में पूज्य जैकबआबाद जिला सिंधी पंचायत भवन, इंदौर में एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह में सिंधी समाज के 150 से अधिक प्रतिभाशाली छात्रों को पुरस्कृत किया गया और दानदाताओं को सम्मानित किया गया। इस सम्मान समारोह में समाज के कई गणमान्य व्यक्ति और अतिथिगण मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन कमल आहूजा एवं कमल कस्तूरी ने किया।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आईएएस अभिलाष मिश्रा और एसएएस तहसीलदार लोकेश आहूजा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरूआत भगवान झूलेलाल की मूर्ति पर माल्यार्पण और स्वर्गीय श्री नंदकुमारजी कस्तूरी की तस्वीर पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद एक घंटे का धार्मिक कार्यक्रम हुआ। मुख्य अतिथियों ने न केवल समाज की एकता और विकास की प्रशंसा की, बल्कि छात्रों और दानदाताओं के योगदान की सराहना भी की। कार्यक्रम में सिंधी समाज के 70 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले 150 से अधिक छात्रों को शील्ड और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

इन 150 बच्चों में से 11 बच्चे ऐसे थे, जिनके 95 प्रतिशत से अधिक नम्बर थें। इन सभी छात्रों को मंच पर बुलाकर उनकी मेहनत और उपलब्धियों के लिए प्रोत्साहित किया गया। सिंधी समाज के दानदाताओं को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। दानदाताओं में मुख्य रूप से नीरज घनानी, रोहित कस्तूरी और राजा मांधवानी को सम्मानित किया गया। वही प्रसिद्ध समाजसेवी नंदलाल खाटूरिया, साहित्यकार प्रकाश रोचलानी, अमर गोपलानी और बास्केटबाल खिलाड़ी साम्या वाधवानी को भी सम्मानित किया गया।

आईएएस अभिलाष मिश्रा ने कहा कि आज के युग में बच्चों के पास संसाधनों की कमी नहीं है, आज पूरा समाज और पूज्य जैकबाआबाद जिला सिंधी पंचायत आपके पीछे खड़ी है। इसलिये बच्चों को अपने लक्ष्य पर ध्यान रखने की जरूरत है। बच्चों में बहाने बनाने की आदत नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि हमारे समय में इतना ज्ञान और संसाधन नहीं हुआ करता था, लेकिन आज के समय में आपके पास स्मार्ट मोबाइल कम्प्यूटर, गूगल जैसे तमाम संसाधन है, जिसकी मदद से आप बहुत कुछ कर सकते हो।

उस वक्त हमारे पास केवल एक डिक्शनरी ही हुआ करती थी और टीचरों से पूछना पड़ता था। इन सब तमाम संसाधनों से जानकारी लेकर खुद को समृद्ध कर सकते है। तहसीलदार लोकेश आहूजा ने कहा कि नम्बरों की चिंता मत करिये आप अपना काम इमानदारी से करिये। भले ही आप 40 प्रतिशत अंकों से पास होते हो, लेकिन आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर कार्य करोगे तो आप उसमे सफल होंगे।

पंचायत के महासचिव श्री कमल कस्तूरी ने कहा कि पंचायात द्वारा पिछले चार सालों से यह सेवा की जा रही है। उन्होंने बताया कि पंचायत की ओर से 500 से अधिक सिंधी बच्चों के स्कूल की फीस भरी जा रही है, जो 24 लाख से अधिक है। इसके अलावा पंचायत बच्चों की अन्य प्रकार से भी मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज को कोई भी बच्चा अब शिक्षा से वंचित नहीं रह पायेगा। पंचायत का उद्देश्य सिंधी समाज को जागृत को सुसंस्कृत करना है।

इस अवसर पर पंचायत अध्यक्ष राजा मांधवानी ने कहा कि हम पाकिस्तान से केवल धर्म को बचाने के लिये आये है। धर्म बचेगा तो देश बचेगा, नहीं तो हमारे पास पाकिस्तान में सारी सुविधाएं थी लेकिन हमें सिर्फ धर्म बदलना मंजूर नहीं था, इसीलिये हम हिंदुस्तान आये। इसलिये हमें सरकार का पूरा सहयोग मिलना चाहिये।

आयोजन में भगवान राम पर एक धार्मिक व्याख्यान का भी आयोजन हुआ। इसमें 60 बच्चों ने भाग लेने की इच्छा जताई थी, लेकिन समय की उपलब्धता को देखते हुए केवल 10 बच्चों को रामजी के विषय पर बोलने अवसर दिया गया। व्याख्यान के दौरान बच्चों ने प्रभु श्रीराम पर तार्किक और पूरे सार के साथ समझाया। बच्चों ने श्रीरामजी के चरित्र को विस्तार से बताया।

इस दौरान बच्चों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरूस्कार दिये गये और सात सांत्वना पुरूस्कार दिये गये। इस धार्मिक व्याख्यान में ईशा लालवानी प्रथम रही। आयोजन में समाज के कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे, जिनमें गोपालदास परियानी (सरपंच), राजा मांधवानी (अध्यक्ष), कमल कस्तूरी (महासचिव), लालचंद टी. वाधवानी (संयोजक) और वार्ड पार्षद कंचन गिदवानी शामिल थे। कार्यक्रम के बाद भोजन का आयोजन किया गया, जिसकी पूरी जवाबदारी दिपचंदजी चावला ने निभाई। धार्मिक कार्यक्रम के सूत्रधार लालचंद टी वाधवानी रहे। आभार डॉक्टर जयकुमार परियानी ने माना।

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