इंदौर
Indore Hukamchand Mill : इंदौर के हुकमचंद मिल मजदूरों को 29 जनवरी से पैसा मिलना होगा शुरू
Pushplataइंदौर। हुकमचंद मिल के 5895 मजदूरों को उनके हक का पैसा मिलने का समय निकट आ ही गया। मजदूरों को 29 जनवरी से राशि मिलना शुरू हो जाएगी। तीन सदस्यीय कमेटी को 15 दिन में प्रक्रिया पूरी करनी होगी। कोर्ट ने कहा है कि मजदूरों का भुगतान सर्वोच्च प्राथमिकता है।
परिसमापक मिल के सभी मजदूरों के दस्तावेजों के सत्यापन का इंतजार न करें। कमेटी जैसे-जैसे दस्तावेजों का सत्यापन करती जाए वैसे-वैसे मजदूरों को भुगतान जारी किया जाए। यानी 29 जनवरी से मजदूरों को भुगतान होना शुरू हो जाएगा और 15 दिन में सभी मजदूरों को पैसा मिल जाएगा। इस मामले में कोर्ट ने मंगलवार को सभी पक्षों की बात सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। तीन पेज का यह आदेश 24 जनवरी को जारी हुआ।
कोर्ट ने मजदूरों के दस्तावेजों के सत्यापन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी है। इसमें मजदूरों की तरफ से हुकमचंद मिल मजदूर कर्मचारी अधिकारी समिति के सचिव किशनलाल बोकरे को शामिल किया गया है। इसके अलावा मल्हारगंज तहसीलदार और सालसा के सचिव भी इस कमेटी के सदस्य होंगे। कोर्ट ने परिसमापक से कहा है कि वे कमेटी के तीनों सदस्यों के साथ बैठक कर दस्तावेजों के सत्यापन, भुगतान के लिए स्थान तय कर लें।
गौरतलब है कि हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन को भुगतान करने के लिए मप्र गृह निर्माण मंडल ने 20 दिसंबर 2023 को परिसमापक के खाते में 217 करोड़ 86 लाख रुपये जमा कराए थे। मिल मजदूरों ने परिसमापक के पास अपने दस्तावेज जमा कराना शुरू भी कर दिए हैं। अब तक तीन हजार के लगभग फार्म जमा हो गए हैं। मंगलवार को कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था जो बुधवार को जारी हुआ। तीन पेज के आदेश में कोर्ट ने कोर्ट ने भुगतान जल्द से जल्द शुरू करने को कहा है।
बचत खाते में पहुंचेगी राशि
हुकमचंद मिल के मजदूरों से दस्तावेजों में उनके बचत खाते की जानकारी भी मांगी गई है। मुआवजे की राशि मजदूरों के बचत खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
यह है मामला
12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल प्रबंधन ने मिल बंद कर दिया था। उस वक्त मिल में 5895 मजदूर काम करते थे। अचानक मिल बंद होने से इन सभी मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था। मजदूरों ने अपने बकाया भुगतान और मुआवजे के लिए हाई कोर्ट की शरण ली। वर्ष 2007 में हाई कोर्ट ने मजदूरों के हक में 229 करोड़ रुपये मुआवजा तय किया था।
इस रकम का भुगतान मिल की जमीन को बेचकर होना था लेकिन जमीन बिक नहीं सकी और मजदूरों का भुगतान अटक गया। हाल ही में नगर निगम और मप्र गृह निर्माण मंडल ने मिल की जमीन पर आवास और व्यसायिक प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति जताई जिसके बाद मजदूरों के भुगतान का रास्ता साफ हो सका।