इंदौर

साहित्य अकादमी के निदेशक डॅा. विकास दवे ने छात्रों को बताया प्राचीन भारत का समृद्ध इतिहास

sunil paliwal-Anil paliwal
साहित्य अकादमी के निदेशक डॅा. विकास दवे ने छात्रों को बताया प्राचीन भारत का समृद्ध इतिहास
साहित्य अकादमी के निदेशक डॅा. विकास दवे ने छात्रों को बताया प्राचीन भारत का समृद्ध इतिहास

मालवांचल यूनिवर्सिटी प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा विषय पर संगोष्ठी

इंदौर : मालवांचल यूनिवर्सिटी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत इंडेक्स मेडिकल कॅालेज सभागृह में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को डॉ विकास दवे,निदेशक साहित्य अकादमी म प्र शासन ने प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को समृद्ध बताते हुए कहा कि यह परंपरा कला संस्कृति, दर्शन, समाज शास्त्र, विज्ञान व प्रबंधन समेत विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक दृष्टिकोण देती है। हमें इस दृष्टिकोण को शिक्षा के क्षेत्र में अपनाकर राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया को और मजबूत बनाना होगा।

डॅा.दवे ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान, जो आध्यात्मिक और विज्ञानी है। ऐसे समय में सबसे ज्यादा जरूरत है कि इसे जीवन के स्वीकार किया जाए। तो नए राष्ट्र का निर्माण होगा, जिसमें भारतीयता और भारतीय मूल्यों का समावेश होगा। आदिकाल से प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा रही है। भारतीय ज्ञान जीवन के हर विषय में समग्रता के साथ है। समग्र व्यक्तिव विकास के लिए आज प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को जानने व समझने की जरूरत है। खासकर वर्तमान पीढ़ी और भावी पीढ़ी को बताए जाने की भी आवश्यकता है।

कार्यक्रम मालवांचल यूनिवर्सिटी के कुलपति एन के त्रिपाठी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मालवांचल यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार डॅा.एम क्रिस्टोफर,प्राचार्या डॅा.रेशमा खुराना,प्राचार्य डॅा.जावेद खान पठान,डॅा.नितिन अग्रवाल,अजय कुमार गौड़,डॅा.भानुप्रताप सिंह उपस्थित थे। कार्यक्रम डॅा.पूनम तोमर राणा की अध्यक्षता में हुआ।

भारत के ज्ञान को समझने के लिए आए दुनियाभर के विद्वान 

उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा अवैज्ञानिक नहीं है हमारे ग्रंथों और आश्रमों से मिली ज्ञान परंपरा के 500 वर्ष बाद पेटेंट करा लिए गए है।भारत में प्राचीन ज्ञान परंपरा के मूल में वेद,पुराण, उपनिषद है। इससे भारतीय संस्कृति व परंपराओं का जन्म हुआ है। हमारी ज्ञान परंपरा काफी समृद्ध है इससे जानने के लिए दुनियाभर के विद्वान नालंदा और तक्षशिला जैसे विवि में आए थे। हमारे देश में उन्होंने जाना कि समर्पण हमारी ज्ञान परंपरा का आधार है। संगोष्ठी की इंडेक्स समूह के चेयरमैन सुरेशसिंह भदौरिया, वाइस चेयरमैन मयंकराज सिंह भदौरिया, डायरेक्टर आर एस राणावत,एडिशनल डायरेक्टर आर सी यादव, डीन डॅा.जीएस पटेल ने सराहना की।

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