Sunday, 26 October 2025

इंदौर

इंदौर की 09 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के नाम लगभग तय..!

Paliwalwani
इंदौर की 09 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के नाम लगभग तय..!
इंदौर की 09 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के नाम लगभग तय..!

कीर्ति राणा...✍️

कांग्रेस ने इंदौर जिले+महू की कुल 9 विधानसभा सीटों पर जिन्हें चुनाव लड़ाना हैं, उनके नाम लगभग तय कर लिए हैं. तय किए नामों में कमलनाथ की पसंद के 2, दिग्विजय सिंह की पसंद के 2, पचोरी की पसंद का एक, गांधी परिवार की पसंद के 2, बाकी 2 क्षेत्रों के नाम होल्ड कर रखे हैं.

पुख्ता सूत्रों के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र एक से विधायक संजय शुक्ला को फिर से प्रत्याशी बनाने पर सहमति बनाने में सुरेश पचोरी की भूमिका खास रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने क्षेत्र क्रमांक 2 से चिंटू चौकसे और क्षेत्र क्रमांक 3 से पिंटू (दीपक) जोशी का नाम प्रस्तावित किया है. क्षेत्र तीन से पूर्व विधायक अश्विन जोशी की दावेदारी भी है, लेकिन पिछले चुनाव में मिली पराजय के साथ ही कमलनाथ के विश्वस्त पूर्व मंत्री-विधायक सज्जन वर्मा का पिंटू जोशी को समर्थन मिल जाने से अश्विन जोशी का दावा कमजोर माना जा रहा है.

क्षेत्र क्रमांक 4 से फिलहाल जिन दो नामों पर सहमति बनी है, इनमें से एक सज्जन वर्मा की पसंद के बिल्डर राजा मंधवानी और दूसरा नाम दिग्विजय सिंह के मित्र कांति बम के पुत्र अक्षय बम का है. मंधवानी का सिंधी वोट की बहुलता तो अक्षय का जैन बहुल मतदाता के आधार पर नाम आगे बढ़ाया गया है. कमलनाथ के सर्वे में इन दोनों की ही रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं है. उनके सलाहकार अभी से कह रहे हैं कि दोनों में से जिसे भी टिकट मिले यह देखना होगा कि कितने मतों से हारेंगे. चार नंबर क्षेत्र से दावेदारी में मंधवानी का पलड़ा भारी जरूर है, लेकिन सज्जन वर्मा सोनकच्छ से चुनाव लड़ते हैं तो मंधवानी का हर तरह से मदद के लिए सोनकच्छ जाना मजबूरी रहेगी.

इन्हीं सारे कारणों से इस क्षेत्र से कमलनाथ को अभी भी किसी दमदार नाम की तलाश है. उनके विश्वस्त लोगों ने भाजपा के वरिष्ठ नेता-राष्ट्रकवि सत्य नारायण सत्तन पर भी डोरे डाले थे... लेकिन जनसंघ के वक्त से विचारधारा-पार्टी के प्रति समर्पित सत्तन ने तमाम तरह के प्रलोभनों को ठोकर मारते हुए संदेश दे दिया कि व्यक्तिगत हित से ज्यादा उनके लिए पार्टी महत्वपूर्ण है.

क्षेत्र क्रमांक 5 से प्रत्याशी का नाम गांधी परिवार को तय करना है. यहां से पूर्व विधायक सत्य नारायण पटेल और शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी-ये दोनों लंबे समय से सक्रिय हैं. कथा-भजन-भंडारे से लेकर विभिन्न समाजों को अपने साथ जोड़ने की दोनों दावेदारों में होड़ चल रही है. 

सत्तू पटेल और कोठारी दोनों की सीधे गांधी परिवार में पकड़ होने से यहां से नाम फायनल करने का निर्णय प्रियंका और राहुल गांधी को करना है. कमलनाथ खेमे ने दोनों को यह आश्वासन दे रखा है कि जिसे टिकट नहीं मिलेगा उसे सरकार बनने पर कहीं ना कहीं एडजस्ट जरूर करेंगे.

देपालपुर में पूर्व विधायक विशाल पटेल को फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी का संकेत मिल चुका है. यहां से पिछले चुनाव की तरह इस बार भी मोती सिंह पटेल दिल्ली-भोपाल में दावेदारी करते घूम जरूर रहे हैं, लेकिन इंदौर दुग्ध संघ का अध्यक्ष बनवाने में चंद्र प्रभाष शेखर की सक्रियता के पीछे कमलनाथ का ही इशारा था, यह बात मोती सिंह पटेल भी जानते हैं. ऐसे में उनकी दावेदारी को कमलनाथ खेमा यदि गंभीरता से नहीं ले रहा है, तो उसकी एक अन्य वजह देपालपुर से विशाल पटेल का 2018 में चुनाव जीतना भी है. 

विशाल पटेल खेमा भी इस सत्य से इंकार नहीं कर सकता कि मोती सिंह की भी समाज के वोट दिलाने में भूमिका रही थी.

राऊ क्षेत्र से विधायक जीतू पटवारी को टिकट नहीं मिलने का कोई ठोस कारण भी नहीं है. साथ ही राहुल गांधी से नजदीकी उनके लिए फिर से चुनाव लड़ने का मजबूत कारण भी है. राऊ से उन्हें फिर से टिकट मिलना तय इसलिए भी है कि इसी क्षेत्र से वो पिछला चुनाव जीते और मंत्री भी रहे हैं.

महू विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार को पुन: टिकट देने पर कमलनाथ राजी नहीं हैं. दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेताओं का भी मत है कि दरबार अब महू में जिताऊ चेहरा नहीं हैं. महू में दोनों दलों में जोर पकड़ती स्थानीय प्रत्याशी की मांग की गंभीरता भांपते हुए कांग्रेस भी किसी दमदार स्थानीय नेता की तलाश में है. उपयुक्त प्रत्याशी-चौंकाने वाले के लिए कांग्रेस भाजपा में सेंधमारी की संभावनाओं पर भी काम कर रही है. सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष योगेश यादव का महू गृह क्षेत्र जरूर है, लेकिन दिल्ली-भोपाल के नेताओं का मानना है कि यादव का नाम फायनल करना पार्टी के लिए महू सीट गंवाने का कारण भी बन सकता है.

सांवेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस नेताओं में रीना बोरासी के नाम पर सहमति बन रही है. उनके पिता-पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डू खुद आलोट से टिकट मांग रहे थे, उन्हें रीना बोरासी के नाम पर तैयार करने में सफलता मिलने के बाद ही सांवेर से उनकी पुत्री का नाम तय माना जा रहा है. हालांकि पिता-पुत्री के बीच कॉलेज संबंधी मामले सहित अन्य मुद्दों को लेकर विवाद बना हुआ था जो अब समझौते में बदल चुका है. सांवेर में कभी तुलसी तो कभी गुड्डू भाजपा प्रत्याशी का मुकाबला करते रहे थे. इस बार रीना बोरासी कांग्रेस की उम्मीदवार के रूप में भाजपा के सिलावट का मुकाबला करेंगी.

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