स्वास्थ्य

वर्क फ्रॉम होम के दौरान बढ़ सकती हैं, रीढ़ की समस्याएं बॉडी स्ट्रेच जरूरी : डॉ. अरविंद कुलकर्णी

Sunil paliwal-Anil bagora
वर्क फ्रॉम होम के दौरान बढ़ सकती हैं, रीढ़ की समस्याएं बॉडी स्ट्रेच जरूरी : डॉ. अरविंद कुलकर्णी
वर्क फ्रॉम होम के दौरान बढ़ सकती हैं, रीढ़ की समस्याएं बॉडी स्ट्रेच जरूरी : डॉ. अरविंद कुलकर्णी

कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी और देशभर में लॉकडाउन के कारण अधिकांश कामकाजी लोगों को घर से ही काम करने की सलाह दी गई है। हालांकि, इस स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी है, लेकिन लोगों को वर्क फ्रॉम होम के दौरान रीढ़ की समस्याओं को लेकर भी सावधान रहने की आवश्यकता है।

एक हालिया अध्ध्यन के अनुसार, 30-40 साल की आयु वर्ग में हर पांचवा भारतीय किसी न किसी प्रकार की रीढ़ की समस्या से पीड़ित है। पिछले एक दशक में, इस समस्या की चपेट में आई युवा आबादी की संख्या में 60 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है। रीढ़ की हड्डी की समस्या पहले बुजुर्गों की बीमारी हुआ करती थी, लेकिन आज गतिहीन जीवनशैली और गलत मुद्रा में बैठने के कारण युवा भी इस समस्या का शिकार हो रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है। “गतिहीन जीवनशैली, गलत मुद्रा में बैठना, लेट कर लैपटॉप पर काम करना और उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण घर से काम कर रहे लोगों में रीढ़ की समस्याएं विकसित हो सकती हैं। ये सभी फैक्टर रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों पर तेज दबाव बनाते हैं। सभी काम झुककर करने से रीढ़ के लीगामेंट्स में ज्यादा खिचाव आजाता है, जिससे पीठ में तेज दर्द के साथ अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। हालांकि, एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली के साथ इन समस्याओं से बचा जा सकता है। ऐसे में रोज एक्सरसाइज करना, सही तरीके से उठना-बैठना, सही तरीके से झुकना और शरीर को सीधा रखना आदि स्वस्थ रीढ़ के लिए जरूरी है।” आमतौर पर, जो लोग पीठ के निचले हिस्से के दर्द से परेशान रहते हैं, उनमें से 95 प्रतिशत लोगों को लक्षण के पहले महीने में किसी खास टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती है। टूटी रीढ़ जैसी कुछ समस्याएं हैं जो किसी गंभीर समस्या का संकेत देते हैं। ऐसे में पीड़ित के लिए तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है।

● जीवन शैली में थोड़ा परिवर्तन किया जाए

पीठ के दर्द की शिकायत होने पर यदि जीवन शैली में थोड़ा परिवर्तन किया जाए तो फायदा होता है जिसमें वजन में कमी करना, तीस मिनट की सैर, थोड़ा सा व्यायाम और  ध्ूम्रपान से तौबा करना.। इस रोग में ध्रूम्रपान का सेवन खतरनाक होता हैं, इसके साथ ही साथ यदि दर्द से पीड़ित व्यक्ति अपने चलने, खड़े होने और बैठने के ढंग पर ध्यान रखे तो यह बीमारी काफी हद तक ठीक हो सकती हैं। जैसे कुर्सी पर बैठे तो पीछे कुशन रख ले या फिर कुर्सी पीछे के हिस्से का सीध होना और सोने के लिए सख्त गद्दे का प्रयोग।

● काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें 

“वर्क फ्रॉम होम के साथ हमें घर के भी कई काम करने पड़ते हैं। ऐसे में अचानक झटके से उठना, ज्यादा झुकना, गलत तरीके से सामान उठाना, लेटकर लैपटॉप चलाना, लगातार एक ही मुद्रा में काम करना आदि आदतों से दूरी बनाना जरूरी है। काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें और यदि काम ज्यादा है तो किसी से मदद मांग लें। रोजाना एक्सरसाइज और वॉक करें, लेकिन इस दौरान बॉडी स्ट्रेच पर ज्यादा ध्यान दें। एक पोषणयुक्त डाइट लें, जिसमें प्रोटीन, सलाद, फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में मौजूद हों। शरीर में विटामिन डी की कमी न हो इसलिए रोज थोड़ी देर धूप में बैठना जरूरी है। यदि आप पेनकिलर दवाएं ले रहे हैं तो ‘आईब्युप्रोफेन’ वाली दवाइयां बिल्कुल न लें क्योंकि ये हमें कमजोर बनाती हैं जिससे हमारा शरीर घातक कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता नहीं रख पाता है।”

डॉ. अरविंद कुलकर्णी 

हेड, मुंबई स्पाइन स्कोलियोसिस एंड डिस्क रिप्लेसमेंट सेंटर 

बॉम्बे हॉस्पिटल,मुंबई 

● पालीवाल वाणी ब्यूरो-Sunil Paliwal, Anil Bagora...✍️

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