दिल्ली
चीन और अमेरिका, सऊदी अरब के इस ऐलान से भारत की मुश्किल बढ़ी
Paliwalwani
नई दिल्ली : चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है. अमेरिका, चीन, सऊदी अरब और ब्रिटेन समेत तमाम देश ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती कर नेट जीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य तक पहुंचने की समयसीमा का ऐलान कर चुके हैं, ऐसे में भारत पर भी ऐसा करने के लिए दबाव बढ़ रहा है. नेट जीरो एमिशन का मतलब है कि सभी देश पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैसों का उतना ही उत्सर्जन करें जितना वे जंगल बढ़ाकर या अन्य तरीकों से कम कर सकें. ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है जो पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
अमेरिका, चीन और सऊदी अरब कर चुके हैं नेट जीरो का ऐलान : अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन ने नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने के लिए साल 2050 की डेडलाइन तय की है. वहीं, चीन और सऊदी अरब ने नेट जीरो कार्बन एमिशन के लिए साल 2060 की समयसीमा तय की है. हालांकि, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर इसी हफ्ते से शुरू हो रहे COP26 सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) से पहले भारत ने नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के टारगेट का ऐलान करने से इनकार किया है. COP-26 सम्मेलन स्कॉटलैंड की राजधानी ग्लासगो में 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और ये 13 दिनों तक चलेगा. इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें हिस्सा लेने वाले हैं. नेट जीरो कार्बन एमिशन के टारगेट पर क्या बोले पर्यावरण मंत्री : भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नेट जीरो टारगेट का ऐलान करने से जलवायु परिवर्तन की समस्या हल नहीं होने वाली है. उन्होंने कहा कि ये भी देखना जरूरी है कि नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचने से पहले वातावरण में कार्बन में कितनी बढ़ोत्तरी हो चुकी होगी.