Friday, 31 October 2025

इंदौर

नगर सेवा बनी इंदौर मेट्रो... जहां मर्जी हो वहां मोड़ दो...! वरिष्ठ पत्रकार राजेश ज्वेल

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नगर सेवा बनी इंदौर मेट्रो... जहां मर्जी हो वहां मोड़ दो...!  वरिष्ठ पत्रकार राजेश ज्वेल
नगर सेवा बनी इंदौर मेट्रो... जहां मर्जी हो वहां मोड़ दो...! वरिष्ठ पत्रकार राजेश ज्वेल

नेता नगरी, अफसरगिरी और इंदौर की मेट्रो...

वरिष्ठ पत्रकार राजेश ज्वेल 

इंदौर.

मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक आईएएस अधिकारी एस. कृष्ण चैतन्य हैं, जिन पर समय पर इंदौर-भोपाल मेट्रो संचालन की जिम्मेदारी है मगर ऐसा लगता है कि उक्त अफसर भोपाल से इंदौर सिर्फ ट्रॉली यात्रा करने और मौजूदा एलिवेटेड कॉरिडोर पर सरसरी निगाह मारने आते हैं और उसी का प्रेस नोट फोटो-वीडियो सहित मीडिया को जारी कर दिया जाता है...

अभी तक एक बार भी प्रबंध संचालक महोदय ने इंदौर मेट्रो में आ रही बाधाओं को लेकर ना कोई बैठक बुलाई और ना जिम्मेदारों से चर्चा की... इंदौर मेट्रो एक बड़ा मजाक बन गई है और नेतानगरी ने उसे नगर सेवा समझ लिया कि जहां मर्जी हो भिया के इशारे पर मोड़ दो... बीते डेढ़ साल से इंदौर मेट्रो के अंडरग्राउंड ट्रैक को लेकर चकल्लस चल रही है...

6 किलोमीटर के एलिवेटेड कॉरिडोर के व्यवसायिक संचालन के वक्त मुख्यमंत्री के साथ फोटो खींचवाने और मेट्रो में यात्रा करने के साथ इस सौगात के बढ़ चढ़कर दावों के बीच टेंपू से मेट्रो सफर के साफे नेताओं ने खूब बंधवाए तो दूसरी तरफ नित नए अड़ंगे भी ये ही डाल रहे हैं...

दुनिया के कई देशों में 50 साल से अधिक समय से अंडरग्राउंड मेट्रो चल रही है और दिल्ली मेट्रो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां चांदनी चौक, चावड़ी बाजार से लेकर कनाट पैलेस जैसे अत्यंत घने इलाकों में अंडरग्राउंड मेट्रो सफलतापूर्वक दौड़ रही है और लाखों यात्री सफर कर रहे हैं... मेट्रो से इन क्षेत्रों के व्यवसाय में भी कई गुना वृद्धि हो गई...

दूसरी तरफ इंदौर के नासमझ दुकानदार अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं... शुरुआती दो-चार साल की अवश्य परेशानी निर्माण कार्य चलने के दौरान की है, उसके बाद आगामी 50 सालों तक कई गुना बढ़े हुए कारोबार का लाभ मिलेगा... आज नए इंदौर की जनता रीगल ब्रिज पार जाती ही नहीं है, क्योंकि यातायात और पार्किंग की भीषण समस्या है...

अगर विजय नगर से पलासिया, एमजी रोड, राजवाड़ा होते हुए एयरपोर्ट तक अंडरग्राउंड मेट्रो चलती है तो कोठारी मार्केट से लेकर सराफा, मारोठिया, बर्तन बाजार, कपड़ा बाजार सहित पूरे क्षेत्र के व्यापारियों को इसका जबरदस्त लाभ मिलेगा और बड़ी संख्या में जनता इन घने क्षेत्रों में शॉपिंग के लिए पहुंच सकेगी...जैसे दिल्ली मेट्रो के बाद सरोजिनी मार्केट, चावड़ी बाजार, चांदनी चौक से लेकर तमाम क्षेत्रों के कारोबार में कई गुना वृद्धि हो गई...

मगर आज तक इंदौर मेट्रो के जिम्मेदार अधिकारी ना तो इस तरह की हक़ीक़त या इससे जुड़ा कोई सर्वे रहवासियों, दुकानदारों, जनप्रतिनिधियों और मीडिया के सामने प्रस्तुत कर सके है, जिससे भविष्य में मिलने वाले फायदों की जानकारी हो... दूसरी तरफ हकीकत यह भी है कि मेट्रो प्रोजेक्ट में किसी तरह का बदलाव इंदौर-भोपाल स्तर पर संभव नहीं है...

इसके लिए केन्द्र सरकार की अनुमति लेना पड़ेगी और साथ में प्रोजेक्ट के लिए लोन देने वाले एशियन विकास बैंक की भी, वैसे भी केंद्र सरकार एक साल पहले ही इंदौर मेट्रो के 32 किमी रूट और उसमें बनने वाले स्टेशनों का गजट नोटिफिकेशन कर चुकी है और अब रूट परिवर्तन किया जाता है तो हजार - दो हजार करोड का अतिरिक्त खर्च कौन वहन करेगा, इस पर भी शून्य बटा सन्नाटा है...

कुल मिलाकर मोदी जी के मेट्रो प्रोजेक्ट की इंदौर के कर्णधारों ने खटिया खड़ी कर रखी है और रोजाना यहां स्टेशन नहीं बनेगा, यहां से मेट्रो नहीं गुजरेगी... जैसे फतवे जारी कर दिए जाते हैं... अपर मुख्य सचिव संजय दुबे के मुताबिक 3 नवम्बर 2025 को इंदौर में इसी मामले को लेकर बैठक रखी है, जिसमें आ रही अड़चनें दूर की जाएंगी.. फिलहाल तो इंदौर मेट्रो की स्थिति गरीब की जोरू समान हो गई है, जिसे सब मनमर्जी से हांक रहे हैं..!

@ राजेश ज्वेल

 

(फाइल फोटो)

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