दिल्ली
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन पर तेज़ी से काम, जल्द शुरू होगी पहली ट्रेन
paliwalwani
नई दिल्ली. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय रेलवे देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित करने के लिए एक अत्याधुनिक परियोजना पर तेजी से काम कर रही है.
यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी और शक्तिशाली ट्रेनों में शामिल होगी और पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगी. इसके साथ ही हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिए भी बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है.
इसके अलावा, वैष्णव ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (ICF) में 640 वंदे भारत कोच बनाए गए हैं, जबकि कपूरथला रेल कोच फैक्टरी (RCF) को 320 कोच तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है. वंदे भारत ट्रेनें भारतीय रेलवे की आधुनिक और सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों में शामिल हैं, जो यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करती हैं.
कैसे काम करेगी हाइड्रोजन ट्रेन?
हाइड्रोजन भारत की यह पहली ट्रेन होगी जो एनर्जी पैदा करने के लिए पानी का इस्तेमाल करेगी. डीजल या इलेक्ट्रिक इंजन की जगह, यह ट्रेन हाइड्रोजन से बिजली पैदा करेगी. इसके पीछे का विज्ञान समझना है तो आपको स्कूल की कैमिस्ट्री की किताब याद दिलाते हैं.
अगर आप कैमिस्ट्री के कमजोर छात्र रहे हैं तो भी आपको पानी का फॉर्मूला यानी H2O तो याद ही होगा जो हाइड्रोजन के दो एटम और ऑक्सीजन के एक एटम से मिलकर बनता है. इसी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कैमिकल कॉम्बिनेशन से बिजली पैदा होती है, और इसका एकमात्र बाय प्रोडक्ट पानी और भाप है.
लेकिन हाइड्रोजन ही क्यों?
भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन का मकसद कार्बन उत्सर्जन को कम करना और डीजल इंजनों से होने वाले वायु प्रदूषण को खत्म करना है. हाइड्रोजन का इस्तेमाल करके, यह ट्रेन कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जैसे प्रदूषण का उत्सर्जन नहीं करती है.
इसका मतलब है कि इस ट्रेन से कोई भी हानिकारक उत्सर्जन नहीं होगा, कुछ भी ऐसा नहीं निकलेगा जो पर्यावरण को प्रदूषित कर सके. यही नहीं इसके अलावा, ये ट्रेनें डीजल इंजनों की तुलना में 60 प्रतिशत कम शोर पैदा करती हैं. भारतीय रेलवे 35 हाइड्रोजन ट्रेनों को देशभर में तैनात करने की योजना बना रहा है.
क्या होगा रूट और स्पीड
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाइड्रोजन ट्रेन का पहली ट्रायल रन हरियाणा के जिंद-सोनीपत रूट पर होगा, जो करीब 90 किलोमीटर का सफर तय करेगी. इसके अलावा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरि माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे जैसे हेरिटेज माउंटेन रेल रूट हो सकते हैं.
इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जिससे यात्री तेज और आरामदायक यात्रा का आनंद ले सकेंगे. एक बार फ्यूल भरने पर ट्रेन 1,000 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकेगी. इस ट्रेन को हर घंटे लगभग 40,000 लीटर पानी की जरूरत होगी, जिसके लिए खास वॉटर स्टोरेज फैसिलिटी बनाई जाएंगी.