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Digital Arrest : भारत में हर रोज होने वाले पांच आम साइबर स्कैम : सावधान रहने की जरूरत

paliwalwani
Digital Arrest : भारत में हर रोज होने वाले पांच आम साइबर स्कैम : सावधान रहने की जरूरत
Digital Arrest : भारत में हर रोज होने वाले पांच आम साइबर स्कैम : सावधान रहने की जरूरत

नई दिल्ली. भारत में साइबर (Cyber) अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके साथ ही कई प्रकार के साइबर स्कैम (Scams) भी आम हो गए हैं। यूपीआई स्कैम से लेकर पार्सल स्कैम तक हर रोज भारत में इन स्कैम के जरिए लोगों को चूना लगाया जा रहा है। आज की इस रिपोर्ट में हम आपको देश में हो रहे पांच सबसे आम साइबर स्कैम के बारे में बताएंगे जिनसे आपको बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है।

डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) : डिजिटल अरेस्ट स्कैम की शुरुआत एक मैसेज या कॉल के साथ होती है और उसके बाद ठग लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं। ये कहते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजें की खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।

कई बार यह भी दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं। इसके बाद आपको वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहा जाता है और पैसे मांगे जाते हैं। इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहते हैं।

व्हाट्सएप वीडियो कॉल स्कैम (WhatsApp Video Call Scam) : इस स्कैम की शुरुआत एक अनजान नंबर के वीडियो कॉल के साथ होती है। स्कैमर्स आपको वीडियो कॉल करते हैं और उधर से एक अश्लील वीडियो दिखाया जाता है या फिर कई बार उधर से एक लड़की बात कर रही होती है। ये लोग स्क्रीन रिकॉर्ड करते हैं और आपके चेहरे को किसी अन्य अश्लील वीडियो में एडिट करके लगा देते हैं और उसके बाद वीडियो को वायरस करने की धमकी देकर पैसे मांगे जाते हैं।

यूपीआई फ्रॉड (UPI Fraud) : यूपीआई के जरिए होने वाले लेन-देन में धोखाधड़ी बहुत बढ़ गई है। इसमें स्कैमर्स नकली क्यूआर कोड भेजकर, कॉल करके या फेक एप्स के जरिए पैसे निकालने की कोशिश करते हैं। कई बार ये लोग खुद को बैंक अधिकारी बताकर यूपीआई पिन या ओटीपी पूछते हैं और अकाउंट खाली कर देते हैं।

ऑनलाइन शॉपिंग स्कैम (Online Shopping Scam) : इसमें फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स या सोशल मीडिया पेजों के जरिए सस्ते प्रोडक्ट्स बेचने का दावा किया जाता है। जब लोग इन साइट्स से खरीदारी करते हैं, तो उन्हें या तो खराब गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट मिलते हैं या फिर कुछ भी नहीं मिलता। ऐसे मामलों में रिफंड या ग्राहक सेवा से संपर्क करना भी मुश्किल हो जाता है।

फिशिंग (Phishing) : फिशिंग में धोखेबाज ईमेल, मैसेज, या नकली वेबसाइट्स के माध्यम से लोगों से व्यक्तिगत जानकारी, जैसे बैंक खाता नंबर, पासवर्ड, या क्रेडिट कार्ड डिटेल्स चुराने की कोशिश करते हैं। ये लिंक या मैसेज अक्सर बैंक या सरकारी संस्थाओं के जैसे दिखते हैं, जिससे लोग इन्हें असली मानकर अपनी जानकारी साझा कर देते हैं।

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