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विश्व पुस्तक मेले में "आत्मोत्थानम्": अखिलेंद्र मिश्र के कविता संग्रह का भव्य विमोचन

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विश्व पुस्तक मेले में "आत्मोत्थानम्": अखिलेंद्र मिश्र के कविता संग्रह का भव्य विमोचन
विश्व पुस्तक मेले में "आत्मोत्थानम्": अखिलेंद्र मिश्र के कविता संग्रह का भव्य विमोचन

रविंद्र आर्य 

नई दिल्ली. 

हिंदी साहित्य जगत में एक और महत्वपूर्ण कृति का प्रवेश हुआ जब प्रख्यात अभिनेता और कवि अखिलेंद्र मिश्र के नवीनतम कविता संग्रह "आत्मोत्थानम्" का विमोचन विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में किया गया। इस भव्य आयोजन का मंच सर्व भाषा ट्रस्ट द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें साहित्य जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने शिरकत की।

बॉलीवुड अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र की तीसरी पुस्तक

अखिलेंद्र मिश्र, जो अपने बेहतरीन अभिनय और दमदार किरदारों के लिए बॉलीवुड में जाने जाते हैं, अब साहित्य की दुनिया में भी अपनी सशक्त पहचान बना चुके हैं। "आत्मोत्थानम्" उनकी तीसरी पुस्तक है, जो उनके गहरे जीवन अनुभवों और समाज के प्रति उनकी गहन संवेदनशीलता को दर्शाती है। इससे पहले उनके दो साहित्यिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिन्हें पाठकों और साहित्य जगत में सराहना मिली थी।

विमोचन एवं परिचर्चा का आयोजन

इस पुस्तक लोकार्पण एवं परिचर्चा का आयोजन हॉल नंबर 2, लेखक मंच पर हुआ, जहां उपस्थित साहित्यप्रेमियों ने कवि की काव्य यात्रा और उनके नवीनतम संग्रह पर विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम में डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी, जय प्रकाश पांडेय, लक्ष्मीकांत वायपेयी और ओम निश्‍चल (संयोजक) जैसे प्रख्यात साहित्यकारों ने भाग लिया। इन सभी विद्वानों ने "आत्मोत्थानम्" में संकलित कविताओं की गहराई, संवेदनशीलता और विषयगत विविधता पर चर्चा की।

"आत्मोत्थानम्"–आत्ममंथन की कविताएं

"आत्मोत्थानम्" शीर्षक से ही स्पष्ट है कि यह संग्रह आत्मचिंतन और आत्मविकास से जुड़ी कविताओं का संकलन है। इसमें सामाजिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं को उकेरते हुए कवि ने गहरे भावों को अभिव्यक्त किया है। संग्रह की कविताएं पाठकों को आत्मनिरीक्षण की प्रेरणा देती हैं और समाज में व्याप्त जटिलताओं पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।

अखिलेंद्र मिश्र की प्रतिक्रिया

इस विशेष अवसर पर अखिलेंद्र मिश्र ने कहा, "आत्मोत्थानम् मेरे लिए केवल एक कविता संग्रह नहीं, बल्कि एक आंतरिक यात्रा है। यह काव्य-संग्रह मेरे उन अनुभवों, भावनाओं और विचारों का प्रतिबिंब है, जो मैंने जीवन के विभिन्न पड़ावों पर महसूस किए हैं। मुझे आशा है कि यह पुस्तक पाठकों के मन-मस्तिष्क में गहरी छाप छोड़ेगी।"

ऑनलाइन उपलब्धता

पुस्तक को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से इसे Amazon पर भी उपलब्ध कराया गया है। इच्छुक पाठक Amazon के माध्यम से इसे खरीद सकते हैं:

हिंदी साहित्य को नई दिशा

"आत्मोत्थानम्" का विमोचन और उसकी चर्चा यह दर्शाती है कि हिंदी कविता केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि गहन चिंतन और आत्ममंथन का सशक्त माध्यम भी है। अखिलेंद्र मिश्र की यह कृति साहित्य प्रेमियों के लिए निश्चित रूप से एक अनमोल उपहार साबित होगी।

लेखक: रविंद्र आर्य 7838195666

(रिपोर्ट: विशेष संवाददाता, नई दिल्ली)

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