अपराध
लाड़ली बहना योजना : शिवराज की योजना को लगा ब्रेक : 442 लाड़ली बहनों के साथ धोखाधड़ी
Paliwalwaniभोपाल :
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना का बुंदेलखंड व चंबल में बड़ा झटका लगा है l मुरैना जिले में 442 लाड़ली बहनों के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। कियोस्क संचालक ने उनके साथ ठगी की है। धोखाधड़ी की शिकायत करने महिलाएं पुलिस के पास पहुंची l मुरैना जिले के पोरसा जनपद पंचायत में कियोस्क संचालक ने ही 442 महिलाओं के साथ धोखाधड़ी की है।
लाड़ली बहना योजना के तहत इन महिलाओं के खाते में आए रुपये निकाल लिए गए हैं। अब उनसे कहा जा रहा है कि 100 रुपये लेना है तो ले लो। दरअसल, लाड़ली बहना योजना के तहत पहली बार पात्र महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये डाले गए। इस योजना के तहत हर महीने की दस तारीख को पात्र महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये आएंगे। इस योजना को पलीता लगाते हुए एक कियोस्क संचालक ने पोरसा जनपद के दीनापुरा सहित कुछ गांव की 442 महिलाओं के बैंकों में आई राशि हड़प ली। महिलाओं ने इसकी शिकायत संबंधित थाने में की तो वहां सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद अपर कलेक्टर नरोत्तम भार्गव ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
महिलाओं का कहना है कि उनके पास एटीएम कार्ड नहीं है। सरपंच सचिव और कियोस्क संचालक ने जरूरी कागजात रख लिए थे। दस तारीख को जब सभी पात्र महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये ट्रांसफर हुए तो इन 442 महिलाओं के खाते सूने रह गए। इस पर उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर आधार कार्ड से लिंक बैंक खातों की जांच कराई तो पता चला कि उनका खाता किसी अन्य बैंक में भी है और उसमें पैसा आया था। इस पैसे को कोई पहले ही निकाल चुका है। जब महिलाओं ने कियोस्क संचालक से संपर्क किया तो वह दो-टूक शब्दों में मुकर गया। यह भी कहने लगा कि 100 रुपये लेने है तो ले लो।
मामले की जांच होगी
महिलाओं ने कियोस्क संचालक रवि तोमर पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि रवि तोमर ने गांव आकर फिनो बैंक में उनका खाता खोला। झूठ बोलकर खाते खुलवाए। जब लाड़ली बहना योजना की राशि आई तो वह अपने खातों की जांच करने भी पहुंची। तब तोमर भड़क गया। उसने यह तक कह दिया कि 'क्या तुम्हारे बाप ने पैसे डाले हैं। मेरे पास कोई पैसा नहीं है। 100 रुपए लेने हो तो लो।' इसकी शिकायत महिलाओं ने थाने में की, लेकिन थाना प्रभारी ने सुनवाई नहीं की। फिर वह जनपद पंचायत पोरसा पहुंची लेकिन जनपद सीईओ ने भी शिकायत नहीं सुनी। तब अपर कलेक्टर नरोत्तम भार्गव ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।