भोपाल
संपत्तिकर समय पर न देने पर देना होगा 1 अप्रैल से दोगुना संपत्तिकर वसूला जाएगा : प्रविधानों में संसोधन
Anil Bagoraनगर पालिक निगम अधिनियम के प्रविधानों में संसोधन
भोपाल :
प्रदेश के ऐसे मकान मालिक जो खुद के मकान में रहते हैं, नगर पालिक निगम अधिनियम के प्रविधानों के अनुसार उन्हें अभी तक संपत्तिकर में 50 फीसदी छूट मिलती थी. नगरीय प्रशासन विभाग ने इस वित्तीय वर्ष से इसमें संशोधन कर दिया है. भवन स्वामी यदि 31 मार्च 2023 तक अपना पूरा संपत्ति कर जमा करेगा तभी उसे यह छूट मिलेगी. 1 अप्रैल 2023 से उससे दोगुना संपत्तिकर वसूला जाएगा यानी छूट का लाभ नहीं मिलेगा.
प्रदेश नगरीय निकाय अभी तक अपने मकान में रहने वालों से संपत्तिकर की गणना का कुल 50 फीसदी कर ही लिया जाता था. समय पर यह कर जमा नहीं करने पर भी यह छूट जारी रहती थी. मकान माालिक पर सिर्फ 15 फीसदी वार्षिक अधिभार लगाया जाता रहा, लेकिन नगर प्रशासन विभाग ने अब इसमें संशोधन कर दिया है. अब स्वयं के मकान में रहने वालों को हर वित्तीय वर्ष में संपत्तिकर देना होगा अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने वाले मकान मालिकों को छूट का लाभ नहीं दिया जाएगा. 1 अप्रैल 2023 से उन पर पूरा कर यानी संपत्तिकर की गणना का 100 फीसदी अधिरोपित कर दिया जाएगा. यह बदलाव इसी वित्तीय वर्ष से लागू कर दिया गया है.
21 अप्रैल 2022 को जारी हुआ संशोधन
नगरीय प्रशासन विभाग ने 21 अप्रैल 2022 को नगर पालिक निगम अधिनियम में यह संशोधन किया है. अधिनियम में एक नई धारा एस 127 जोड़कर यह प्रविधान किया गया है कि खुद के मकान में रहने वाले मकान मालिकों को संपत्तिकर में 50 फीसदी छूट तब दी जाएगी जब संपत्तिकर उसी वित्तीय वर्ष के भीतर जमा किया जाता है, जिस वित्तीय वर्ष में वह देय है. यानी 31 मार्च 2023 तक संपत्तिकर जमा नहीं किया तो मिलने वाली 50 फीसदी छूट अपने आप खत्म हो जाएगी.
क्या था प्रविधान
नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा 137 में पहले से ही यह प्रविधान था कि जो व्यक्ति खुद के मकान में रहता है उसे संपत्तिकर की गणना के दौरान 50 फीसदी कर की छूट दी जाएगी. मकान में यदि किराएदार रहता है, तो 100 फीसदी संपत्तिकर की गणना की जाएगी.
मालिनी गौड़ ने लिखा सीएम को पत्र
बता दे कि : पूर्व महापौर मालिनी गौड़ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखते हुए कहा कि इंदौर नगर निगम द्वारा टैक्स को दोगुना करने का जो निर्णय लिया गया है वह सही नहीं है. निगम के अधिकारियों ने कर बढ़ाने का फैसला करने से पहले जनप्रतिनिधियों से चर्चा भी नहीं की. लेकिन नगर निगम का यह फैसला जनता के हित में नहीं है. इसलिए कर वृद्धि को वापस लिया जाना चाहिए. क्योंकि यह सही फैसला नहीं है.
मालिनी गौड़ ने लिखा कि इस मुश्किल वक्त में टैक्स बढ़ाए जाने से जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए टैक्स नहीं बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके महापौर के कार्यकाल में एक बार भी टैक्स नहीं बढ़ाया गया था. इसके बाद भी नगर निगम की आय बढ़ी थी. इसलिए नगर निगम को आय बढ़ाने के दूसरे उपाय करना चाहिए. मालिनी गौड़ ने मुख्यमंत्री से निवेदन करते हुए इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.