भोपाल

प्याज घोटाला: उद्यानिकी विभाग की जादूगरी 2300 रुपयों में खरीदा 1100 का बीज, जांच शुरू

Paliwalwani
प्याज घोटाला: उद्यानिकी विभाग की जादूगरी 2300 रुपयों में खरीदा 1100 का बीज, जांच शुरू
प्याज घोटाला: उद्यानिकी विभाग की जादूगरी 2300 रुपयों में खरीदा 1100 का बीज, जांच शुरू

मध्य प्रदेश. मध्य प्रदेश में प्याज घोटाले की जांच अब ईओडब्ल्यू  ने शुरू कर दी है. इस जांच की रडार पर उद्यानिकी विभाग के कमिश्नर आ गए हैं. आरोप है कि अप्रमाणित बीज खरीद कर सरकार को आर्थिक नुकसान और घोटाला किया गया. प्रमाणित बीज के जो रेट तय किए गए थे उससे भी अधिक दर पर विभाग ने अप्रमाणित बीज खरीदा. राज्य शासन ने  प्याज के उस बीज को इसलिए प्रतिबंधित कर दिया था क्योंकि इससे पैदावार कम होती थी. इसकी जगह पर अब प्रमाणित हाइब्रिड बीज को अनुमति दी गई है. लेकिन नियमों को ताक पर रखकर विभाग ने घोटाला करते हुए अप्रमाणित बीज की खरीदा.

ये है पूरा मामला

राज्य शासन ने उद्यानिकी नर्सरियों पर प्रमाणित बीजों की बिक्री दर 1100 रुपये प्रति किलो तय की थी. इसके बाद भी  उद्यानिकी विभाग ने अप्रमाणित खरीफ प्याज बीज दोगुने से भी ज्यादा दाम 2300 रुपए प्रति किलो की दर पर खरीद लिया. यह बीज एमपी एग्रो की जगह दूसरी संस्थाओं से खरीदा गया. राष्ट्रीय बागवानी मिशन में इसी साल पहली बार खरीफ प्याज को शामिल किया गया है. इसके बाद विभाग ने दो करोड़ रुपए में 90 क्विंटल प्याज बीज को खरीद लिया. उद्यानिकी को एमआईडीएच योजना में संकर सब्जी बीज के नाम पर केन्द्र सरकार से 2 करोड़ रुपए मिले थे. इस राशि से नियमों को ताक पर रखकर निम्न गुणवत्ता के अप्रमाणित प्याज बीज की किस्म एग्री फाउंड डार्क रेड की खरीदी कर ली गई.

ऐसे हुआ घोटाला

उद्यानिकी विभाग के 29 सितंबर 2020 को जारी पत्र के मुताबिक सब्जी बीज की दरें ( 2020-21) में 1100 रुपए प्रति किलो थी. लेकिन बगैर टेंडर बुलाए सीधे एनएचआरडीएफ इन्दौर से 2300 रुपए प्रति किलो की दर पर प्याज का बीज खरीद लिया गया. यह खरीदी तब कर ली गई जब नेफेड और एमपीएसी समेत अन्य कई मान्यता प्राप्त निजी संस्थाएं इसे कम कीमत पर सप्लाई करने के लिए तैयार थीं.

EOW ने शुरू की जांच

इस मामले की शिकायत आईटीआई कार्यकर्ताओं और दूसरी संस्थाओं ने सबसे पहले विभाग के मंत्री से की. इसके बाद अब इस मामले की शिकायत जब EOW पहुंची तो एजेंसी ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी. विभाग के संबंधित और जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस भेजकर जबाव तलब किया जा रहा है.

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