भोपाल

शराबबंदी की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब शिवराज सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में...!

Paliwalwani
शराबबंदी की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब शिवराज सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में...!
शराबबंदी की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब शिवराज सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में...!

मैंने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा जी को एक पत्र लिखा है, मैं उसको सार्वजनिक कर रही हूं : पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती

भोपाल : शराबबंदी की मांग को लेकर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब शिवराज सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उमा भारती ने ऐलान किया है कि वह गांधी जयंती के दिन शराबबंदी की मांग को लेकर भोपाल में मार्च करेंगी। उमा भारती पहले भी मध्य प्रदेश में शराबबंदी की मांग उठाती रही हैं।पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के तेवर अब ज्यादा तीखे दिखाई दे रहे हैं.

शराबबंदी को लेकर सरकार को बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कोई कार्रवाई न होते देख अब उन्होंने इस मामले में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है. उमा ने जेपी नड्डा के कहने पर शराबबंदी को लेकर अपना आंदोलन टाल दिया था. फिर भी प्रदेश सरकार ने शराब पर नियंत्रण के कोई ठोस कदम नहीं उठाए.

उमा भारती ने लिखा कि मध्य प्रदेश की नई शराब नीति प्रदेश को विनाश की तरफ ले जा रही है. उमा की इस मामले में RSS के नेताओं के साथ भी बैठक हुई है. प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव से भी वे चर्चा कर चुकी हैं. इन सारे नेताओं से चर्चा के बाद भी प्रदेश में शराब की बिक्री कम करने जैसे कोई कदम नहीं उठाए गए. ऐसे में अब नाराज उमा भारती ने मोर्चा खोलने की पूरी तैयारी कर ली.

उमा भारती के आंदोलन का पहला कदम अहाते बंद कराने को लेकर है। उन्होंने कहा कि अहाते बंद कर दिए जाए, जिससे लोगों के लिए जगह उपलब्ध कराकर शराब पिलाने की व्यवस्था बंद हो। उन्होंने कहा कि अहाते से लोग शराब पीकर गाड़ी चलाकर घर जाते हैं, जिससे यातायात नियमों का भी उल्लंघन होता है।

उमा भारती ने 2 अक्टूबर 2022 को गांधी जयंती पर महिलाओं के साथ भोपाल में शराब के खिलाफ मार्च निकालने की सरकार को चेतावनी भी दी है. उनका कहना है कि प्रदेश की आबकारी नीति में संशोधन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की शराब नीति में से कानून विरुद्ध, जन विरुद्ध और महिला विरुद्ध अंश हैं वे अलग होना चाहिए।

सरकार भी उमा के तेवरों से चिंतित हैं। उमा के सामने अधिकारियों ने कुछ समय पूर्व शराब नीति को लेकर एक प्रेजेंटेशन भी दिया था। इस प्रेजेंटेशन में यह बताया गया कि अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए इस बार की नीति में परिवर्तन किए गए हैं।

सरकार की चिंता है कि उमा के आंदोलन से लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ेगी, जिसका कांग्रेस लाभ उठा सकती है। बीजेपी का प्रदेश में बड़ा वोट बैंक महिला वोटर्स हैं। शराब के खिलाफ किसी भी आंदोलन से महिलाओं को जुड़ना तय है। ऐसे में भाजपा का बड़ा वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। इस कारण कारण उमा को मनाने के भी प्रयास प्रारंभ हो गए, जिससे वे शराब के मामले में सरकार के खिलाफ सड़कों पर न उतरें। पर जेपी नड्डा को पत्र लिखकर उमा भारती ने नया विवाद छेद दिया।

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