भोपाल
दैनिक वेतन भोगियों के मामले में अंतिम सुनवाई आज
sunil paliwalभोपाल। मध्यप्रदेश के करीब 48 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बराबर नियमित वेतनमान देने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगाये गये अवमानना प्रकरण मामले में प्रदेश सरकार आज 11 जुलाई को अपना अंतिम जवाब पेश करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को जवाब पेश करने के लिए 11 जुलाई का अंतिम अवसर दिया था जो आज खत्म हो जाएगा। दैनिक वेतन भोगीयों के हित में आ सकता है ऐतिहासिक फैसला। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी है प्रदेश सहित कई प्रदेशों में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगीयों को मिल सकती है बड़ी राहत।
यह मामला है सुप्रीम कोर्ट में
मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेशाध्यक्ष श्री अशोक पांडे ने पालीवाल वाणी को बताया कि मध्यप्रदेश के करीब 48 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बराबर नियमित वेतनमान देने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगाये गये अवमानना प्रकरण मामले में दैनिक वेतनभोगियों को नियमित वेतनमान देने में लेटलतीफी को लेकर उनके संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। जिस पर आज 11 जुलाई को अंतिम सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट में आज 11 जुलाई को सरकार को स्पष्ट करना है कि वह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को कितना और कब से नियमित वेतनमान देगी।
मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों की बैठक
मध्यप्रदेश के करीब 48 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बराबर नियमित वेतनमान देने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगाये गये अवमानना प्रकरण मामले में दैनिक वेतनभोगियों को नियमित वेतनमान देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए हाल ही में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने सभी विभाग प्रमुख सचिवों की बैठक ली है। मंत्रालय सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में फैसले के लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है। इस फैसले से सरकार पर सालाना 58 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा। कई दैनिक वेतनभोगी आदेश की प्रतिक्षा में सेवानिवृत्त हो गए या परलोक पहुंच गए।
दैनिक वेतन भोगियों को विनियमित करने की योजना कई विभागों में गोल
मगर प्रदेश सरकार के आला अधिकारियोें ने प्रदेश के मुख्या श्री शिवराजसिंह चैहान ने दैनिक वेतन भोगियों को विनियमित करने की योजना सामान्य प्रशासन विभाग, मध्य प्रदेश शासन भोपाल के आदेश क्रमांक एफ 5-1.2013.1.3 दिनांक 07 अक्टूबर , 2016 के अनुसार मध्य प्रदेश शासन ने कार्यरत दैनिक भोगियों के लिए स्थाई कर्मियों को विनिमितकरने की योजना के सम्बन्ध में आदेश जारी किया । राज्य शासन ने दैनिक वेतन भोगी के स्थान पर स्थायी कर्मी की श्रेणी देने का निर्णय लिया । राज्य शासन ने इन्हें निम्नानुसार वेतनमान भी स्वीकृत किये जाने का निर्णय लिया - 1. श्रेणी - अकुशल वेतनमान - 4000-80-7000 2. श्रेणी - अर्द्धकुशल वेतनमान - 4500-90-7500 3. श्रेणी - कुशल वेतनमान - 5000-100-8000 वेतनमान निर्धारण - 01 सितम्बर, 2016 की स्थिति में उनके द्वारा पूर्ण किए गए वर्षों के आधार पर सम्बन्धित वेतनमान अनुसार वेतन वृद्धि की दर से गणना कर सम्बन्धित वेतनमान में वेतन निर्धारण किया जाएगा । कोई एरियर देय नहीं होगा । इस पर इन्हें महंगाई भत्ता भी देय होगा । आदेश के अनुसार यह वेतन निर्धारण 01 सितम्बर, 2016 की स्थिति में होगा। ऐसे दैनिक वेतन भोगी जो दिनांक 16 मई, 2007 को कार्यरत थे और 01 सितम्बर, 2016 को भी कार्यरत है, इस वेतन क्रम एवं अन्य लाभों के लिए पात्र होंगे। पर कई नगर पालिक निगम, पंचायत सहित कई विभागों में आदेशों का पालन ही नहीं हुआ। ओर सुप्रीम कोर्ट में दैनिक वेतन भोगियों को विनियमित करने की मंशा जाहिर कर रहे है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की याचिका पर 21 जनवरी 2015 को नियमित करने का फैसला सुनाया था। तभी से सभी कर्मचारियों का लाभ मिलना चाहिए था। पर लालफीताशाही के चलते आज भी दैनिक वेतन भोगी नरक की जिंदगी जी रहे है। उनकी आस आज होने वाले फैलसे पर टिकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी 2015 को नियमित करने का फैसला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की याचिका पर 21 जनवरी 2015 को नियमित करने का फैसला सुनाया था। जब सरकार ने 8 माह तक कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, तो प्रदेश कर्मचारी मंच सहित अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगायी थी। जिसमें मुख्य सचिव से लेकर 7 विभागों के प्रमुख सचिवों को पक्षकार बनाया गया था।
अफसर जानबुझकर दैनिक वेतन भोगीयों को परेशान कर रहे है !
प्रदेश कर्मचारी मंच सहित अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगायी थी। जिस पर अफसर जानबुझकर समय मांग कर दैनिक वेतन भोगीयों को परेशान कर रहे है। 18 मार्च को पहली सुनवाई में सभी अफसरों को कोर्ट में मौजूद होना पड़ा था। अफसरों ने आदेश का पालन करने के लिए कुछ समय मांगा। इस पर कोर्ट ने 25 अप्रैल को हलफनामा पेश करने को कहा था। इसके बाद 13 मई का समय दिया और अब आज 11 जुलाई को अंतिम सुनवाई होना शेष है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार सुप्रीम कोर्ट सख्त निर्देश देकर मध्यप्रदेश सरकार को मुश्किल में डाल सकती है !
प्रदेश में नहीं होती दैनिक वेतन भोगीयों की सुनवाई
स्थाई कर्मियों को विनिमित करने की योजना के संबंध में आदेश जारी किया था पर आज दिनांक तक इंदौर नगर पालिक निगम इंदौर सहित कई पालिकाओं, पंचायतों में इस आदेश को मनाने से इंकार करते हुए अफसर का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश ही मान्य होगा। जो आदेश जारी हुआ है उसमें इन विभागों के कार्यरत दैनिक वेतनभोगियों के लिए नहीं है। इस रवैये से इन विभागों में काम कर रहे है हजारों कर्मचारियों में घोर निराशा छाई हुई है वही प्रदेश सरकार के खिलाफ भी माहौल बन रहा है। पर प्रदेश में बैठे अफसर इस ओर ध्यान आकर्षित ही नहीं कर रहे है, आज सुप्रीम कोर्ट में क्या जबाब पेश करते है देखना बड़ा दिलचस्प होगा। सूत्रों की माने तो सुप्रीम कोर्ट में दैनिक वेतनभोगियों के पक्ष में ही फैसला आ सकता है क्योंकि गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की याचिका पर 21 जनवरी 2015 को नियमित करने का फैसला सुनाया था।
पालीवाल वाणी ब्यूरो -सुनील पालीवाल
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