ज्योतिषी
महाकाल के दरबार में संतों का अपमान स्वीकार नहीं,सरकार 840 करोड़ से कराए 84 महादेव मन्दिरों का विकास- डॉ अवधेशपुरी महाराज
Paliwalwani
उज्जैन : संत सम्मेलन में जब महाकाल मन्दिर में मंदिर कर्मचारियों द्वारा सन्तों के अपमान की पीड़ा सामने आई. झालरिया मठ में भागवत मर्मज्ञ डॉ विद्याश्री पुरीजी द्वारा आयोजित संत समागम में बड़ी संख्या में स्थानीय एवं बाहर के प्रांतों से पधारे संत सम्मिलित हुए. समागम की अध्यक्षता गोकर्ण पीठ, रोहतक, हरियाणा के प्रसिद्ध संत बाबा कमलपुरीजी महाराज द्वारा की गई.
संत सम्मेलन में जब महाकाल मन्दिर में मंदिर कर्मचारियों द्वारा सन्तों के अपमान की पीड़ा सामने आई. संतों का कहना था कि हमने भगवान महाकाल के दर्शन व पूजन के लिए ही उज्जैन में आश्रम बनाए हैं व जीवन दिया है किन्तु आज व्यवस्था के नाम पर हमें महाकाल से दूर किया जा रहा है व अपमानित किया जा रहा है.
हम से कहा जाता है कि मन्दिर में केवल महामंडलेश्वरों को ही ससम्मान प्रवेश मिलेगा अन्य को नहीं. इस पर उज्जैन के क्रांतिकारी सन्त डॉ अवधेशपुरी जी महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा कि मन्दिर प्रशासन को संतों में भेदभाव नहीं करते हुए सभी सन्तों को सम्मान सहित सुलभता से भगवान के दर्शन कराने चाहिए. सन्तों के सम्मान से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाये. इसके साथ ही आपने सरकार से एक बड़ी माँग करते हुए कहा कि 84 महादेव मन्दिरों में लाखों श्रद्धालु जाते हैं, किन्तु उन्हें अनेक असुविधाओं का सामना करना पड़ता है.
अतः सरकार ने जिस प्रकार 850 करोड़ रूपये में महाकाल मन्दिर का विकास किया है, ठीक उसी प्रकार महाकाल वन की महिमा बढ़ाने एवं लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 840 करोड़ रूपये की लागत से 10-10 करोड़ प्रति मन्दिर, 84 महादेव मन्दिरों का भी विकास करे. इससे उज्जैन में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा व उज्जैन वालों को व्यवसाय व रोजगार भी मिलेगा. दोनों माँगों का उपस्थित सभी सन्तों व भक्तों ने पूर्ण समर्थन किया. सम्मेलन को महामंडलेश्वर शैलेशानंदजी महाराज, स्वामी वितरागानन्दजी महाराज, दिल्ली से पधारे शास्त्रीजी व मंगलनाथ मन्दिर के महन्त राजेन्द्र भारती द्वारा भी सम्बोधित किया गया. बाबा कमलपुरीजी महाराज द्वारा व्यासपीठ से परम गौ भक्त व समाज सेवी कैलाश पाटीदार को सम्मानित किया.
इस अवसर पर सभी संत एवं बटुकों का सम्मान किया गया व भण्डारे का आयोजन भी किया गया. संचालन सुविज्ञ संचालक सुदर्शन अयाचित द्वारा किया गया.