ज्योतिषी
सूर्य एवं शनि का दृष्टिपात होने से संक्रमण एवं मृत्यु दर बढ़ने का कारक बना-वर्ष 2022 तक परिस्थितियां प्रतिकूल रहेगी : पंडित श्री पुष्पराज आचार्य
paliwalwani.com● पालीवाल वाणी मीडिया नेटवर्क-जगदीश राठौर...✍️
जावरा. संवत 2078 ( सन 2021) 13 अप्रैल 2021 मंगलवार के दिन शुरू हुआ है भारतीय सनातन पद्धति अनुसार यह नव वर्ष कहलाता है परंतु यह वर्ष अच्छा परिणाम लेकर नहीं आया है क्योंकि यह वर्ष मंगलवार के दिन शुरू हुआ है इसलिए इस वर्ष के राजा मंगल बने हैं साथ ही 13 अप्रैल के दिन ही मेष राशि की सक्रांति प्रारंभ हुई है इसलिए मंत्री पद का भार भी मंगल देवता को ही प्राप्त हुआ है. संवत्सर के मालिक राक्षस नामक वर्ण से शुरू हुए हैं. शनि एवं सूर्य का दृष्टिपात योग होने से जनमानस के लिए यह संयोग संक्रमण एवं मृत्यु दर बढ़ाने के कारण बन रहा है. अब हम समझने का प्रयास करते हैं कि कौन-कौन सी राशियां वर्तमान में रोग एवं मृत्यु तुल्य कष्ट से प्रभावित है. वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती एवं शनि की ढैया-प्रभावित राशियां : ● मकर ● कुंभ ● धनु ● मिथुन एवं तुला राशि
नाम अक्षर की बात करें तो (स, ज, ग, घ, क, र, त, थ) यह नाम अक्षर के लोग काल के चक्र से ज्यादा प्रभावित हैं. काल रूपी व्याल (सर्प) जो लोगों के जीवन का ग्रास बना हुआ हैं. अगर हम देखें तो सन - 2019 में परीधावी नाम के संवत्सर से संक्रमण जैसे विषाणुकृत बीमारी का प्रादुर्भाव हो चुका है. क्योंकि जनमानस के लिए अच्छे परिणाम लेकर नहीं आया है, इसलिए सन -2019, 2020, 2021 एवं 2022 इन चारों वर्षों की ज्योतिष गणना के अनुसार परिस्थितियां बिल्कुल प्रतिकूल हैं. वर्ष 2021 का राजा मंगल है और 2022 में वर्ष का राजा शनि है, इसलिए इन दोनों वर्षों के अधिपति पापी ग्रह होने की वजह से जनता दुख और रोग से त्रस्त होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं. ऐसे समय से मुक्ति पाने के लिए जप, तप, दान एवं हवन आदि सत्कर्म करें प्रात : जल्दी उठकर गायत्री मंत्र, और महामृत्युंजय मंत्र की एक माला का जप करें. कोरोना महामारी के विनाश के लिए दुर्गा सप्तशती में मंत्र दिया है, उस मंत्र की माला जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहाः स्वधा नमोस्तुते का यह जाप करें. इस मंत्र की पांच माला नित्य जपने से मां दुर्गा के शुभ प्रभाव से विकट संकट में व्यक्ति अपने आपको अनुकूल महसूस करता है, इसी के साथ ही अनुलोम -विलोम, प्राणायाम कपालभाति प्राणायाम, और योगासन सहारा भी ले.
● पंडित श्री पुष्पराज आचार्य