आपकी कलम
इंदौर संसदीय सीट पर बदलाव की बयार : देखी-सुनी
paliwalwani????कीर्ति राणा
दिल्ली से भोपाल तक इंदौर संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी को लेकर चल रहे नामों से यह धारणा मजबूत होती जा रही है कि वर्तमान सांसद को पार्टी भूतपूर्व करने का मन बना चुकी है। सांसद के पांच साल के अभूतपूर्व परफार्मेंस की मिली एमआरआई जांच के बाद यह हालात बने हैं।
भाजपा इस सीट से किसे प्रत्याशी बनाएगी ? बहुत संभव है अगले दो दिन में जारी होने वाली पहली सूची में प्रत्याशी की घोषणा कर संगठन इंदौर के कार्यकर्ताओं को चौंका दे।वर्तमान सांसद ललवानी को तब शिव-साधना की आराधना का फल मिल गया था।अब हालात वैसे नहीं हैं।खुद शिवराज सिंह को पता नहीं है पार्टी उन्हें किस सीट से चुनाव लड़ाएगी।
दूसरी तरफ भाजपा नेतृत्व ने 33 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को टिकट देने का मन बना रखा है।इंदौर से किसी महिला को प्रत्याशी बना दिया जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।ऐसा हुआ तो सुमित्रा महाजन के बाद भाजपा यह प्रयोग फिर से दोहराएगी। रही कांग्रेस की बात तो पार्षद और विधानसभा का चुनाव हार चुके नेताओँ में से (हारने के लिये) किस पर दांव लगाएं यह मंथन चल रहा है।
भाजपा से कांग्रेस में आए और बदनावर से विधायक निर्वाचित भंवर सिंह शेखावत यहां से सांसद चुनाव लड़ने को राजी हो जाते हैं तो जीत-हार तो बाद की बात है फिलहाल कांग्रेस को प्रत्याशी खोज अभियान से तो राहत मिल जाएगी। भविष्य बताएगा कि प्रदेश में लोकसभा की 15 सीटें जीतने का दावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने किस आधार पर करते रहे थे।