आपकी कलम
वंच्यों क ई
राजेन्द्र सनाढ्य राजन
● मुंडो ई काळो वेई जा,
तो भाईड़ा वंच्यों क ई,
अतरा साल काड्यां,
जिंदगी ऊँ हीक्यों क ई।
-=========-
● पेली वातं तो आप,
घरे जावों ई किस्तर,
आपाणी धरम पतनि ने,
मुंडों वतावों ई किस्तर।
-=========-
● बिचारा छोरा-छोरी रो,
नानोक मुंडों वेई जा,
मीनेई-मीने,छीज-छीज न,
ऊबा हूक वेई जा।
-=========-
● अबे क ई केऊँ,मनख,
तरे-तरे री वातां वणावें,
हा-हा, ही-ही कर-कर न,
ओर आग लगावें।
-=========-
● सोसलमिडिया रो जमानों हैं,
वीडियो वेई जा वाईरल,
देवताई क ई नी करी सके,
कतराई चढ़ावों नारियल।
-=========-
● गुरू रे वास्ते तो एक,
छोटोक घणों वे दाग,
पूरो मुंडोई काळो वेईजा,
वंडो वठीस वेईजा दाग।
-=========-
● राजन अणी मुंडा ने,
राखों हमेसा उजवल,
जदी आदर करे ला,
आवा वाळो कल।
● राजेन्द्र सनाढ्य राजन
व्याख्याता- रा.उ.मा. वि. नमाना
नि-कोठारिया, जि-राजसमंद, राजस्थान M. 9982980777