आपकी कलम
शशि थरूर और चिदंबरम बताएं कि ब्रिटेन में भारतीय मूल के किसी व्यक्ति ने कभी सिर तन से जुदा के नारे लगाए?
S.P.MITTAL BLOGGERभारत के गौरव के पलों में कांग्रेस मायूस क्यों हो जाती है?
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भारत के लिए यह गौरव का पल है कि सनातन संस्कृति से जुड़े भारतीय मूल के नागरिक ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए है। यह वही ग्रेट ब्रिटेन है जिसने 200 वर्षों तक अविभाजित भारत पर शासन किया। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी को कांग्रेस के दो पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम और शशि थरूर ने सवाल उठाया है कि क्या अब भारत में भी किसी अल्पसंख्यक को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा?
कांग्रेस का इशारा किसी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने की ओर है। यह पहला अवसर नहीं है, जब भारत के गौरव के पलों में ऐसी मायूसी भरी टिप्पण कांग्रेस की ओर से की गई है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने, अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण आदि के अवसरों पर भी कांग्रेस की ओर से ऐसी ही निराशाजनक टिप्पणियां की गईं। जहां तक किसी अल्पसंख्यक को भारत का प्रधानमंत्री बनाने का वाल है तो 75 वर्षों में से 50 वर्षों तक कांग्रेस का ही शासन रहा।
क्या कभी किसी अल्पसंख्यक को प्रधानमंत्री बनाने पर कांग्रेस ने विचार किया? नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहने पर ही कांग्रेस को अल्पसंख्यक के प्रधानमंत्री बनाने पर क्यों विचार आ रहा है? कांग्रेस ने यदि जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद को राष्ट्रपति बनाया तो गैर कांग्रेस दलों की ओर से एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का राष्ट्रपति बनाया गया। थरूर और चिदंबरम को यह भी समझना चाहिए कि ब्रिटेन में अल्पसंख्यक होने के नाते ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया। ब्रिटेन के लोगों को तरक्की करनी है, इसलिए भारत की सनातन संस्कृति में विश्वास रखने वाले ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री चुना है। मुस्लिम समुदाय के लोग भी भारतीय मूल के नागरिकों की तरह रहते हैं, लेकिन ब्रिटेन के लोगों ने हमारे ऋषि पर भरोसा जताया है।
थरूर और चिदंबरम को यह पता होना चाहिए कि भारत में जब ब्रिटेन का ही शासन था तभी 85 वर्ष पहले ऋषि के दादा गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) छोड़ कर अफ्रीका चले गए थे। ऋषि का जन्म तो ब्रिटेन में ही हुआ, लेकिन ऋषि और उनके परिवार ने कभी भी अपनी सनातन संस्कृति को नहीं छोड़ा। यही वजह रही कि ऋषि ने भारतीय आईटी कंपनी इंफोससि के संस्थापक नारायण मूर्ति की पुत्री अक्षता से सनातन संस्कृति के अनुसार विवाह किया। ब्रिटेन की संसद में गीता पर हाथ रखकर शपथ भी ली। ऋषि का मानना है कि उन्हें गीता के उपदेशों से ऊर्जा प्राप्त होती है।
गीता से प्राप्त ऊर्जा का ही परिणाम है कि ऋषि के परिवार के पास आज ब्रिटेन के राजपरिवार से भी ज्यादा की संपत्ति है। राजपरिवार की संपत्ति करीब साढ़े तीन हजार करोड़ की आंकी जाती है, जबकि ऋषि के सात हजार करोड़ रुपए की संपत्ति है। यह सही है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकांश लोग सिर तन से जुदा के नारों से सहमति नहीं है, लेकिन फिर भी धार्मिक स्थलों और जुलूसों में ऐसे नारे लगे हैं।
सब जानते हैं कि ऐसे नारे सुनियोजित तरीके से लगाए गए, ताकि देश का माहौल खराब हो। जबकि इसके विपरीत ब्रिटेन में कभी भी भारतीय मूल के किसी संगठन अथवा परिवार ने कट्टरपंथी नहीं दिखाया। भारत में भी आमतौर पर हिन्दू और मुसलमान भाई चारे के साथ रहते हैं। सनातन संस्कृति को मानने वाले लाखों लोग मुस्लिम समुदाय के सूफी संतों की मजार पर जाकर अपनी अकीदत (श्रद्धा) प्रकट करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह है। अच्छा होता कि सवाल उठाने से पहले कांग्रेस और उसके नेता सनातन संस्कृति के पक्षधर ऋषि सुनक को समझ लेते।