आपकी कलम
धन्य धरा इंदौर की : आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की एक झलक के लिये घण्टों बैठे रहें महिला, पुरुष, बाल-अबाल औऱ बुजुर्ग : इंतेहा हो गई इंतज़ार की, फ़िर भी रत्तीभर भी डिगी नही आस्था
नितिनमोहन शर्मा● हिंदुत्व के प्रति आस्था, अहिल्या नगरी ने धैर्य-धीरज का रचा इतिहास
● बाबा बागेश्वर के लिए 6 घण्टे तक बैठे रहे हज़ारों-हज़ार लोग
● लालबाग में हिंदुत्व के प्रति अनुराग का हुआ अनूठा प्रकटीकरण
● बाबा बागेश्वर ने माँगे 1 करोड़ कट्टर हिंदू, हिन्दू हिन्दू भाई-जात पात की करो बिदाई का दिया मंत्र
धीरज का इतिहास रच दिया : 'व्यासपीठ' पर विश्वास बना रहा, : आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री
नितिनमोहन शर्मा...✍????
'धीरेंद्र' के लिए धैर्य और धीरज का इंदौर ने शनिवार को इतिहास रच दिया। देवी अहिल्या की नगरी ने वो कर दिखाया, जो कम ही देखने, सुनने में आया हैं।अपने धर्म और किसी संत के प्रति आस्था का ये बिरला ही प्रसंग हैं, जिसका साक्षी ये शहर बना। इसे हिंदुत्व के प्रति गहरा अनुराग माने या बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर के प्रति अटूट आस्था, कि सुबह से शाम हो गईं, हजारों हज़ार लोग अपनी जगह से डिगे नही।
डटे रहे, अड़े रहे, खड़े रहे लेक़िन मन का मनोबल कम न होने दिया। इंतज़ार की इंतेहा हो गई लेकिन मज़ाल है कि आस्था विचलित हुई हो, न संत के प्रति, न धर्म के प्रति। सब कुछ तयशुदा होने के बाद भी जब सब कुछ असमंजस में हो गया, तब भी भरोसा क़ायम रहा।
बाबा बागेश्वर के प्रति, आयोजकों के प्रति। उस 'व्यासपीठ' पर विश्वास बना रहा, जो दुनिया को हिंदुत्व की विराट जीवनशैली दिखाने के लिए पांच दिन के लिए सजाई गई थी। विश्वास टूटा नही। बल्कि इंतज़ार के पल टूट गए। प्रकट हो गए हिंदुत्व के लाडले लाल..बाबा बागेश्वर यानी आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री औऱ बरस पड़ा अटूट प्रेम-स्नेह-आस्था का ज्वार। बाबा बागेश्वर की एक झलक पाकर 'जनसमुद्र' गदगद हो गया।
धन्य हो गई इंदौर की धरा, जिसने धैर्य औऱ धीरज का इतिहास रच दिया। बता दिया जग को कि हिंदुत्व के प्रति अनुराग क्या होता हैं? बता दिया कि किसी संत के प्रति आस्था क्या होती हैं। बात है शहर की ऐतिहासिक धरोहर लालबाग में चल रहे हिन्दू आध्यात्मिक सेवा संस्थान के पांच दिवसीय मेले की। मेले का तीसरा दिन युवा सम्मेलन के नाम था। इस सम्मेलन को बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री यानी बाबा बागेश्वर संबोधित करने वाले थे। सम्मेलन का विषय था- रग रग हिन्दू मेरा परिचय।
इस विषय पर बाबा के सम्बोधन का प्रचार प्रसार बीते एक महीने से इंदौर की धरा पर हो रहा था। सब कुछ तयशुदा था। बस बदलाव हुआ भी तो सिर्फ समय का था। सम्मेलन शनिवार शाम 4 बजे की जगह दोपहर 12 बजे किया गया था। समय मे ये फेरबदल भी उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर लिया गया था ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगो की सहभागिता हो सके। अंतिम समय तक लोग कार्यक्रम स्थल तक पहुँच सके।
लेक़िन शनिवार को उस वक्त ऊहापोह की स्थिति बन गई, जब बाबा बागेश्वर महाराज का आने का तो वक्त हो गया लेक़िन वे नही आये। बाबा ने एक दिन पहले ही अपनी ओरछा तक की 9 दिवसीय पदयात्रा पूर्ण की थी। इसके तुरंत बाद ही वे इंदौर आने वाले थे। लेक़िन उनका आगमन विलम्ब की भेंट ऐसी चढ़ा कि एक वक्त तो ये सन्देश भी हवा में तैरने लगे कि बाबा नही आ रहें।
ये उड़ती खबर कार्यक्रम स्थल तक भी पहुँची। तब तक मौके पर हज़ारों का हुजूम जमा हो गया था। सब तरफ़ भगवा ही भगवा लहरा रहा था। हिंदू मानबिन्दुओं का गुणगान गूंज रहा था। बाबा बागेश्वर के लिए उत्सुकता व आतुरता चरम पर थी। सब उनको देखना, सुनना चाह रहे थे। उसी आस में सब आये भी थे। ऐसे में बाबा के नही आने की रह रहकर आ रही ख़बरों ने कार्यक्रम स्थल पर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी।
ये असमंजस आयोजकों के चेहरे पर भी तैरने लगा लेकिन जनसामान्य तो बस भरोसे पर बैठा रहा। उसे उम्मीद थी आयोजको से कि इन लोगो ने कहां है तो बाबा जरूर आएंगे। उम्मीद एक-दो घण्टे से गुज़रती हुई चार-पाँच घण्टे तक जा पहुँची। लेक़िन उम्मीदें थी कि टूटने का नाम ही नही ले रही थी। दिन ढलने लगा। धुंधलका छाने लगा। आने न आने का कुहासा भी बढ़ने लगा। तब ही बाबा बागेश्वर प्रकट हो गए। अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ बाबा जैसे ही लालबाग पहुँचे, हिंदुत्व का जयघोष चहुँओर से गूंजने लगा। बाबा भी चमत्कृत हो गए इंदौर औऱ इंदोरियो के धैर्य और धीरज पर।
सुबह से शाम तक इंदौर की धरा ने अपने सनातन धर्म के प्रति जो अनुराग औऱ अपने संत के प्रति जो आस्था दिखाई, वह अपने आप मे अनूठी रही। धन्य हुई इंदौर की धरा और धन्य धन्य हुई राष्ट्र के प्रति अटूट भक्ति।
● बाबा मांगे जात-पांत से परे कट्टर एक करोड़
बाबा बागेश्वर ने हिन्दू राष्ट्र के लिए 100 करोड़ में से ऐसे 1 करोड़ हिन्दू मांगे हैं, जो कट्टर सनातनी हैं। ये मांग बाबा बागेश्वर में इंदौर की सरजमीं से देश से की। बाबा ने इंदौर से एक नया नारा भी दिया- जात पात की करो बिदाई, हिंदू हिंदू सब भाई भाई। बाबा का ये नारा देश में तेजी से स्थापित हो गए ' बटोगे तो कटोगे' नारे की आगे की कड़ी के रूप में सामने आया है।
बाबा में इंदौर के धैर्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा भी की और अपने विलम्ब से आने का कारण भी बहुत साफ़गोई से बताया। उन्होंने कहा कि 9 दिन की पदयात्रा के बाद स्वास्थ्य बुरी तरह से खराब हो गया था। आने का मन बिलकुल नही था लेक़िन इंदौर का ये पागलपन ही मुझे यहां खींच लाया। बाबा बागेश्वर ने इंदौर से ये वादा कर बिदाई ली कि जल्द वे इस शहर में एक बड़ी पदयात्रा करेंगे।
बाबा बागेश्वर के सँग कार में सिर्फ़ विधायक रमेश मेंदोला की मौजूदगी भी कल से लेकर आज तक चर्चा का विषय बनी हुई हैं। बाबा के साथ ' दयालु' की उपस्थिति ने एक बार फिर ये साफ़ कर दिया कि अब ' दादा' राजनीति के नही, संत समाज के ज्यादा नजदीक होते जा रहें हैं।
धन्य धरा इंदौर की...
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