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भारत में रहे 23 करोड़ मुसलमान पाकिस्तान की ताजा घटनाओं का गंभीरता से साथ अध्ययन करें

S.P.MITTAL BLOGGER
भारत में रहे 23 करोड़ मुसलमान पाकिस्तान की ताजा घटनाओं का गंभीरता से साथ अध्ययन करें
भारत में रहे 23 करोड़ मुसलमान पाकिस्तान की ताजा घटनाओं का गंभीरता से साथ अध्ययन करें

यह इमरान खान का समर्थन नहीं बल्कि पाकिस्तान बर्बाद करने वालों की साजिश...!

पाकिस्तान में सक्रिय मुस्लिम कट्टरपंथी चाहते हैं कि जिस तरह अफगानिस्तान में तालिबानियों का शासन है, उसी प्रकार का शासन पाकिस्तान में हो। यानी पाकिस्तान में महिलाओं को कोई अधिकार न मिले और बालिकाएं स्कूल, कॉलेज नहीं जाएं। तालिबानियों को किसी प्रकार का विकास भी नहीं चाहिए। यही वजह है कि जब भी किसी सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन होता है तो कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े लोग सक्रिय हो जाते हैं। इमरान  जब प्रधानमंत्री थे, तब भी उनके विरुद्ध बड़ी बड़ी रैलियां हुई। ऐसा लगा की पूरा पाकिस्तान ही इमरान के खिलाफ है।

आखिर इमरान खान को पीएम के पद से हटना पड़ा। अब जब 9 मई 2023 को इमरान खान की गिरफ्तारी हुई है तो पूरा पाकिस्तान जल उठा है। ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान  की पूरी जनता इमरान के साथ है। सवाल उठता है कि सालभर पहले जब इमरान के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे थे, तब कौन लोग थे? असल में पाकिस्तान में सरकार के विरोध में होने वाले हर प्रदर्शन में तालिबान की सोच रखने वाले कट्टरपंथी सक्रिय हो जाते हैं। इमरान के समर्थन में उतरे कट्टरपंथियों की हिम्मत देखिए सेना के हैड क्वार्टर भी तोडफ़ोड़ की गई है। यानी ऐसे कट्टरपंथियों के सामने निर्वाचित सरकार का प्रशासन तो कोई मायने नहीं रखता है।

आज पाकिस्तान में सेना के कमांड ही सुरक्षित नहीं है। इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में कट्टरपंथी जो हिंसा का तांडव कर रहे हैं उसे रोकने वाला कोई नहीं है। कुछ समय के लिए इमरान खान खुश हो सकते हैं, लेकिन कथित समर्थकों का मकसद इमरान को बचाना नहीं बल्कि पाकिस्तान को बर्बाद करना है। सब जानते हैं कि 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना था। तब पाकिस्तान को मुस्लिम और भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया।

आज हम मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान के हालात देख रहे हैं। वही धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र भारत का विकास और खुशहाली पूरी दुनिया के सामने है। किसी भी मुस्लिम देश में जब कोई बड़ी घटना होती है तो उसका असर भारत पर पड़ता है। भारत में 23 करोड़ मुसलमान रह रहे हैं। यह संख्या किसी भी मुस्लिम देश से ज्यादा है।

भारत का कोई मुसलमान यह नहीं कह सकता है कि सरकारी योजनाओं में उसके साथ भेदभाव हो रहा है। जो सुविधाएं हिन्दुओं को मिल रही है, वही मिलती है। वही सुविधाएं मुसलमानों को भी मिलती है। मुस्लिम बालिकाएं पूरी स्वतंत्रता के साथ स्कूल कॉलेजों में पढ़ती है। यहां तक सरकारी नौकरियां कर रही है। जबकि भारत में हिन्दू आबादी 100 करोड़ है। भारत में रह रहे 23 करोड़ मुसलमानों को मौजूदा हालातों में पाकिस्तान की घटनाओं को गंभीरता के साथ अध्ययन करना चाहिए। क्या कारण है कि जो पाकिस्तान, भारत के साथ आजाद हुआ, वह जबरदस्त हिंसा के दौर से गुजर रहा है और इधर भारत में रहने वाला मुसलमान  अमन चैन और खुशहाली की जिंदगी जी रहा है।

हिन्दू बाहुल्य कॉलोनी में दो चार मुस्लिम परिवार स्वयं को सुरक्षित मानते हैं, जबकि मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान में मुसलमान सुरक्षित नहीं है। आमतौर पर भारत में रहने वाला मुसलमान शांतिपूर्ण तरीके से रहता है, लेकिन कई मौकों पर भारत में भी मुस्लिम कट्टरपंथिता देखी जाती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कश्मीर में कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं की हत्या करना है। ऐसी टारगेट किलिंग पश्चिम बंगाल और केरल में भी देखी गई है।

अब समय आ गया है जब शांति से रहने वाले मुसलमानों को कट्टरपंथियों का विरोध करना चाहिए। यदि कट्टरपंथी मजबूत होते हैं तो भारत में रहने वाला मुसलमान भी असुरक्षित होगा। कट्टरपंथियों की अपनी सोच होती है, जिसमें विकास और खुशहाली कोई मायने नहीं रखती है। पाकिस्तान इस समय भुखमरी के द्वार पर भी खड़ा है। कट्टरपंथी माने या नहीं, लेकिन भारत की सनातन संस्कृति ही सभी धर्मों को साथ लेकर चल सकती है। भारत का धर्म निरपेक्षता का स्वरूप तभी कायम रहेगा, जब कश्मीर, पश्चिम बंगाल और केरल में हिन्दू सुरक्षित रहे। 

 

S.P.MITTAL BLOGGER (11-05-2023)

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