उत्तर प्रदेश

UP Election 2022 : मेयर से गवर्नर तक रह चुकी हैं आगरा रूरल से बीजेपी उम्मीदवार बेबी रानी मौर्य, कभी रामनाथ कोविंद के मातहत करती थीं काम

Paliwalwani
UP Election 2022 : मेयर से गवर्नर तक रह चुकी हैं आगरा रूरल से बीजेपी उम्मीदवार बेबी रानी मौर्य, कभी रामनाथ कोविंद के मातहत करती थीं काम
UP Election 2022 : मेयर से गवर्नर तक रह चुकी हैं आगरा रूरल से बीजेपी उम्मीदवार बेबी रानी मौर्य, कभी रामनाथ कोविंद के मातहत करती थीं काम

भाजपा ने आगरा ग्रामीण से उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को उम्मीदवार बनाया है। बेबी रानी मौर्य को मौजूदा विधायक हेमलता दिवाकर का टिकट काटकर चुनाव मैदान में उतारा गया है। बेबी रानी मौर्य राज्य के प्रमुख दलित नेताओं में गिनी जाती हैं और वे करीब तीन दशक से भाजपा से जुड़ी हुई हैं।

बेबी रानी मौर्य 1995 में भाजपा के टिकट पर आगरा की पहली महिला मेयर चुनी गईं थीं। उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा में तत्कालीन भाजपा नेता व मौजूदा राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के मातहत भी काम किया। वे यूपी समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रहीं और उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य भी बनाया गया था। केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से उनका राजनीतिक करियर भी काफी तेजी से बढ़ा। उन्हें 2018 में उत्तराखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। पिछले साल सितंबर में उत्तराखंड के गवर्नर पद से इस्तीफा दिए जाने के कुछ दिनों बाद ही उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

मौर्य दलित समुदाय की जाटव जाति से आती हैं। उत्तरप्रदेश के पश्चिमी हिस्से में यह दलित समुदाय की सबसे प्रमुख जातियों में से एक है। बसपा सुप्रीमो मायावती भी इस जाति से ताल्लुक रखती हैं। बसपा से अनुसूचित वोट और खासकर जाटव वोटों को हथियाने के लिए भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए बेबी रानी मौर्य को अपने जाटव चेहरे के रूप में पेश किया है। उन्होंने 2007 के चुनावों में एत्मादपुर से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन वे बसपा उम्मीदवार से चुनाव हार गईं थीं।

आगरा ग्रामीण से उम्मीदवार कहती हैं कि मैं थोड़े समय के लिए राज्यपाल रही लेकिन मैं शुरू से ही जमीन पर सक्रिय रही हूं। मैं आगरा की मेयर बनी और तब से लोगों के लिए काम कर रही हूं। भाजपा दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए समर्पित पार्टी है। हमारा नारा सबका साथ, सबका विकास इसी विचार का प्रतिनिधित्व करता है। मुझे विश्वास है कि यहां के लोग हम पर विश्वास करेंगे।

वहीं उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं को लगता है कि बीजेपी आने वाले दिनों में उनको बड़ी भूमिकाएं दे सकती हैं। कईयों का मानना ​​है कि अगर इस बार के चुनाव में भाजपा दोबारा से सरकार बनाती है तो उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इस तरह की चर्चाओं की वजह से कई दूसरी पार्टियों के लोग भी उनके पक्ष में आ रहे हैं।

पूर्व बसपा विधायक और 2017 के चुनावों में आगरा ग्रामीण से उपविजेता रहे काली चरण सुमन भी उनके लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं। वे कहते हैं कि हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि बेबी रानी इस सीट से जीतेगी। वह हमारे बीच से ही हैं और उन्होंने हमेशा समुदाय के लिए काम किया है। हम उन्हें अगले डिप्टी सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। उन्हें विजयी देखना हमारा संकल्प है।

हालांकि इस क्षेत्र के दलित वोटर बसपा और भाजपा के बीच बंटे हुए दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि कईयों का मानना है कि उनके लिए यह चुनाव उनकी पहचान, सुरक्षा और भविष्य को लेकर है। भाजपा उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रही है कि उन्हें उस पार्टी को वोट देना चाहिए जो सरकार बनाएगी। लेकिन वे अभी भी बसपा छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

ब्रह्म नगर की रहने वाली भगवंती कहती हैं कि एक पार्टी हमें पेड़ की तरह छाया दे सकती है लेकिन हमारी जड़ें मायावती के साथ हैं। उन्होंने हमें एक पहचान दी और हम खुद को उनसे कई तरह से जुड़े हुए पाते हैं। कोरोना के दौरान हमें काफी राशन मिला और हो सकता है कि बीजेपी की भविष्य में अच्छी नीतियां भी हों। लेकिन यह एक ऐसा निर्णय है जिसके बारे में हमें सोचना होगा। मायावती के बारे में कोई भी कुछ कहे लेकिन हम जाटवों के लिए वह एक नेता से बढ़कर हैं।

बसपा ने बेबी रानी मौर्य के खिलाफ एक स्थानीय नेता किरण केसरी को खड़ा किया है, वहीं सपा-रालोद गठबंधन ने यहां महेश कुमार जाटव को मैदान में उतारा है। मायावती ने आगरा से ही बसपा के यूपी अभियान की शुरुआत की। यह सीट जीतना बसपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है।

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