Monday, 30 June 2025

उत्तर प्रदेश

बेटे को खोया, बेटी को नहीं टूटने दिया : महिला आयोग और एसपी परिवार फरिश्ता बनकर आगे आईं

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बेटे को खोया, बेटी को नहीं टूटने दिया : महिला आयोग और एसपी परिवार फरिश्ता बनकर आगे आईं
बेटे को खोया, बेटी को नहीं टूटने दिया : महिला आयोग और एसपी परिवार फरिश्ता बनकर आगे आईं

उत्तर प्रदेश. गोंडा जिले के उमरी बेगमगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत डिक्सिर धन्नीपुरवा गांव में उस समय कोहराम मच गया जब बेटी की शादी की तैयारी में जुटे परिवार पर डकैतों ने हमला कर दिया। बदमाशों ने शादी का सारा सामान लूट लिया और विरोध करने पर युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना 5 जून 2025 को होने वाली शादी से पहले पूरे गांव को दहला गई।

सूत्रों के अनुसार, डकैतों को पहले से जानकारी थी कि घर में शादी है और काफी सामान इकट्ठा किया गया है। आधी रात को बदमाशों ने घर में घुसकर सारा सामान समेट लिया। जब मृतक शिवदीन ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की, तो उसे गोली मार दी गई। शिवदीन की मां के अनुसार बेटे ने आखिरी सांस तक घर और बहन की शादी के सामान को बचाने की कोशिश की, लेकिन दरिंदों ने उसे मार डाला।

इस अमानवीय घटना के बाद पुलिस ने कमर कस ली। गोंडा पुलिस ने महज दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई करते हुए दो बदमाशों को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि मुख्य सरगना मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर इस केस को गंभीरता से लिया गया और अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया गया।

इस घटना के बाद जहां पूरा परिवार सदमे में था, वहीं गोंडा के एसपी की पत्नी डॉ. तन्वी जायसवाल और महिला आयोग की अध्यक्ष रितु शाही ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर उनका दुःख साझा किया। न सिर्फ उन्होंने शादी का जरूरी सामान उपहार में दिया बल्कि बेटी की शादी का पूरा खर्च उठाने का जिम्मा भी लिया।

रितु शाही ने बताया यह सिर्फ एक डकैती नहीं थी, यह एक संवेदनशील परिवार पर किया गया कायराना हमला था। पीड़ित परिवार की मदद कर हम समाज में एक सकारात्मक संदेश देना चाहते हैं। मृतक शिवदीन की मां ने कहा जिन्होंने मेरे बेटे को मारा, वे भी मारे गए। हमें न्याय मिल गया है। सरकार और प्रशासन ने जो मदद की है, उसके लिए हम आभारी हैं।

यह घटना जहां एक ओर समाज के सामने अपराध की वीभत्सता को उजागर करती है, वहीं प्रशासनिक संवेदनशीलता, पुलिस की तत्परता और महिला नेतृत्व की सहानुभूति इस दुखद घटना को न्याय और मानवता के संदेश में बदल देती है। गोंडा की यह कहानी बताती है कि अगर सिस्टम सक्रिय हो जाए, तो न्याय और सहायता दोनों मुमकिन हैं।

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