उत्तर प्रदेश
गाय का सामूहिक परिवहन किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं : आया हाईकोर्ट का निर्णय
Paliwalwani
उत्तर प्रदेश : इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के भीतर गाय का केवल परिवहन गो हत्या अधिनियम समेत यूपी के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट (Varanasi District Magistrate) द्वारा एक वाहन को जब्त करने के आदेश को रद्द कर दिया। इसमे बिना वैध अनुमति के गोहत्या के उद्देश्य से जानवरों को ले जाने की बात कही गई थी।
ट्रक मालिक मोहम्मद शाकिब द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम ने कहा कि गाय और उसके वंश को उत्तर प्रदेश के भीतर ले जाने के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। बिना किसी कानूनी अधिकार के गाय के परिवहन व्यवसाय में लगे ट्रक को पुलिस ने पकड़ लिया और जब्त कर लिया। इस मामले में गोहत्या अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
ट्रक मालिक ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष ट्रक को छोड़ने के लिए एक आवेदन दिया था। जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने पुनरीक्षण याचिका दायर किया, उसे भी खारिज कर दिया गया था। उन्होंने डीएम के आदेश के साथ-साथ पुनरीक्षण न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।
उनकी याचिका का विरोध करते हुए राज्य के वकील ने कहा कि गाय और उसके वंशज को परिवहन पर कानून की धारा 5 ए और गाय के परिवहन पर विनियमन के बिना उत्तर प्रदेश के भीतर नहीं ले जाया जा सकता है। उन्होंने जोड़े गए अन्य प्रावधानों का भी उल्लेख किया, जो इस अधिनियम के प्रावधानों और संबंधित नियमों के तहत गाय और परिवहन माध्यम की जब्ती से संबंधित हैं।
इसके द्वारा गोमांस या गाय और उसकी संतान को ले जाया जाता है। इस कानून के तहत ही प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा जब्त किया जा सकता है। अदालत ने कैलाश यादव और अन्य बनाम यूपी राज्य के मामले में पहले उच्च न्यायालय के आदेश को रेखांकित किया। 2008(10) एडीजे 623 में यह माना गया था कि उत्तर प्रदेश के भीतर गाय या उसकी संतान के परिवहन के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि जब्त वाहन का इस्तेमाल गोहत्या अधिनियम के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन में किया गया था। इसलिए पुलिस के पास वाहन को जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि वाराणसी के डीएम ने 18 अगस्त 2021 को जब्ती का गलत आदेश पारित किया है, क्योंकि उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर गाय और उसके वंश को ले जाने के लिए किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने माना कि वाराणसी के डीएम का आदेश अधिकार क्षेत्र के बाहर का था और इसे रद्द कर दिया गया। इसी तरह, 13 अक्टूबर 2021 के पुनरीक्षण न्यायालय के आदेश को भी कानून के प्रावधानों के विरुद्ध मानाते हुए रद्द कर दिया गया। फाईल फोटो