उत्तर प्रदेश

रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी : 1 मार्च 2022 से फिर से दौड़ने लगेंगी ये ट्रेनें : हरिद्वार, वाराणसी, आगरा, छपरा

Paliwalwani
रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी : 1 मार्च 2022 से फिर से दौड़ने लगेंगी ये ट्रेनें : हरिद्वार, वाराणसी, आगरा, छपरा
रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी : 1 मार्च 2022 से फिर से दौड़ने लगेंगी ये ट्रेनें : हरिद्वार, वाराणसी, आगरा, छपरा

उत्‍तर प्रदेश : लखनऊ भारतीय रेल उत्‍तर प्रदेश के लोगों को बड़ी सौगात देने जा रहा है. रेलवे ने कोहरे के कारण बंद की गई कई यात्री ट्रेनों का परिचालन दोबारा से शुरू करने का फैसला किया है. इससे बिहार, वाराणसी, हरिद्वार, देहरादून आदि की यात्रा काफी आसान हो जाएगी. भारतीय रेल (Indian Railway) ने कोहरे के कारण सेवा से हटाए गए यात्री ट्रेनों का परिचालन 1 मार्च से दोबारा से शुरू करने की घोषणा की है. ये ट्रेनें अगले महीने से एक बार फिर से पटरियों पर दौड़ती दिखेंगी. इन ट्रेनों का संशोधित टाइमटेबल जारी नहीं किया गया है, ऐसे में माना जा रहा है कि ये ट्रेनें पूर्व के समय पर ही चलेंगी. यात्री इन ट्रेनों के लिए रेलवे काउंटर से या फिर IRCTC की वेबसाइट पर जाकर टिकटें बुक करा सकते हैं.

जानकारी के अनुसार, भारतीय रेल ने लखनऊ-छपरा एक्‍सप्रेस, उत्‍सर्ग एक्‍सप्रेस और वाराणसी-बरेली एक्‍सप्रेस का परिचालन 1 मार्च से शुरू करने की घोषणा की है. कोहरे के कारण इन ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था. अब इसे दोबारा से चलाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. इन ट्रेनों की सेवा दोबारा शुरू होने से हरिद्वार, देहरादून, वाराणसी, छपरा आदि की यात्रा आसान हो जाएगी. इससे यात्रियों को भी काफी सहूलियत मिलने की उम्‍मीद है. बता दें कि सर्दियों के मौसम में मैदानी हिस्‍सों में काफी घना कोहरा छाया रहता है, ऐसे में कई यात्री ट्रेनों का परिचालन रोक दिया जाता है. हालांकि, इससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन रेलवे को सुरक्षा के लिहाज से यह फैसला लेना पड़ता है.

कई ट्रेनों के फेरे भी होंगे सामान्‍य

रेलवे बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, दानापुर-आनंद विहार एक्सप्रेस, सहरसा-नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस, श्रमजीवी एक्सप्रेस, पटना-कोटा एक्सप्रेस, लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस, धनबाद-फिरोजपुर गंगा सतलज एक्सप्रेस और जयनगर-नई दिल्ली एक्सप्रेस के फेरे को 1 मार्च 2022 से पूर्व की तरह बहाल करने की घोषणा की है. इन ट्रेनों के फेरों में कमी की गई थी.

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