धर्मशास्त्र
सिर्फ नागपंचमी पर खुलते हैं महाकाल के शिखर पर स्थित इस मंदिर के पट
Paliwalwaniशुक्रवार को नागपंचमी है. इस दिन उज्जैनके प्रसिद्ध नाग चंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलते हैं. महाकाल मंदिर (Mahakal) के शिखर पर स्थित इस मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर ही खुलते हैं जो लगातार 24 घंटे तक खुले रहते हैं. आज रात ठीक 12 बजे मंदिर के पट खुल जाएंगे, लेकिन कोरोना के कारण इस साल भी श्रद्धालुओं के आने पर बैन है. वेबसाइट और टीवी चैनल्स के ज़रिए लोग घर बैठे ही दर्शन कर सकेंगे.
भक्तों के लिए वर्ष में एक बार खुलने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट आज रात 12 बजे खोले जाएंगे. साल में एक बार नाग पंचमी के दिन मंदिर के पट 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं. पिछले साल की तरह ही इस साल भी कोरोना की गाइडलाइन के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा. श्रद्धालु महाकाल की वेबसाइट और ऐप के जरिए घर बैठे लाइव दर्शन कर सकेंगे. परंपरा के अनुसार पट खोलकर महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी, विधि-विधान से भगवान नागचंद्रेश्वर की पूजा करेंगे.
नागचंद्रेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है. गर्भगृह के बाहर दीवार पर 11वीं शताब्दी की दुर्लभ प्रतिमा है. इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं. मान्यता है यह एकमात्र प्रतिमा है जिसमें भगवान शिव-पार्वती सर्प शैय्या पर विराजमान हैं.
नागपंचमी पर्व को भगवान नागचंद्रेश्वर के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. 11वीं शताब्दी के परमारकालीन महाकाल मंदिर के शिखर पर भगवान नागचंद्रेश्वर का मंदिर स्थित है. मंदिर में शेषनाग पर विराजित भगवान शिव और माता पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा है. साल में केवल एक ही बार खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल करीब 2 से 3 लाख श्रद्धालु आते थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार भी श्रद्धालुओं को ऑनलाइन ही भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने पड़ेंगे. मान्यता है कि भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष का भी निवारण हो जाता है.
नागपंचमी के दिन भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन भी प्री बुकिंग से ही होंगे. प्रशासक नरेंद्र सूयवंशी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर प्रबंध समिति ने वेबसाइट www.mahakaleshwar.nic.in, सभी स्थानीय चैनल्स और फेसबुक पेज पर सीधा प्रसारण का इंतजाम किया है. श्रद्धालु घर बैठे ही महाकाल और श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान के दर्शन कर सकेंगे.