Tuesday, 24 June 2025

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‘गोलियां चल रही थीं, मेरे बच्चों को सीने से लगाया…’, पहलगाम गाइड कैसे बना बीजेपी कार्यकर्ता के लिए देवदूत

PALIWALWANI
‘गोलियां चल रही थीं, मेरे बच्चों को सीने से लगाया…’, पहलगाम गाइड कैसे बना बीजेपी कार्यकर्ता के लिए देवदूत
‘गोलियां चल रही थीं, मेरे बच्चों को सीने से लगाया…’, पहलगाम गाइड कैसे बना बीजेपी कार्यकर्ता के लिए देवदूत

Pahalgam Attack News: छत्तीसगढ़ बीजेपी यूथ विंग के वर्कर अरविंद अग्रवाल ने अपने परिवार को बचाने का श्रेय लोकल गाइड नजाकत अहमद शाह को दिया है। वह टूरिस्टों पर हुए हमले के वक्त साउथ कश्मीर के पहलगाम में थे। हालांकि, नजाकत ने इस हमले में अपने चचेरे भाई को खो दिया। इसमें 25 टूरिस्ट और एक स्थानीय शख्स की जान चली गई। वह पर्यटकों को घोड़े पर ले जाता था।

वह स्थानीय व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि नजाकत का चचेरा भाई था। इसे कथित तौर पर आतंकियों ने गोली मार दी थी। अग्रवाल ने बताया कि मंगलवार को जब हमला हुआ तो अन्य टूरिस्टों ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया, लेकिन उनकी पत्नी पूजा और चार साल की बेटी कुछ दूरी पर थे। चिरिमिरी कस्बे के रहने वाले अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘सब कुछ शांतिपूर्ण था और मैं फोटो खींच रहा था। जब अचानक गोलीबारी शुरू हुई तो मेरी चार साल की बेटी और पत्नी मुझसे थोड़ी दूर थे। मेरे गाइड नजाकत उनके साथ थे और एक और जोड़ा और उनका बच्चा भी था।’

नजाकत बना देवदूत

उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘जब गोलीबारी शुरू हुई, तो नजाकत ने सभी को लेटने के लिए कहा और मेरी बेटी और मेरे दोस्त के बेटे को गले लगाकर उनकी जान बचाई। इसके बाद वह उन्हें सुरक्षित जगह पर ले गया और फिर मेरी पत्नी को बचाने के लिए वापस चला गया।’ उन्होंने बताया कि एक घंटे तक उन्हें नहीं पता था कि उनका परिवार सुरक्षित है या नहीं। बाद में अस्पताल में ही उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को देखा।

नजाकत नहीं होता तो क्या होता – अग्रवाल

अग्रवाल ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि अगर नजाकत वहां नहीं होती तो क्या होता। मेरी पत्नी के कपड़े फट गए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे पहनने के लिए कपड़े दिए।’ घटना को याद करते हुए नजाकत ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘गोलीबारी जिपलाइन के पास हो रही थी, जहां हम खड़े थे, उससे करीब 20 मीटर की दूरी पर। मैंने सबसे पहले अपने आस-पास के सभी लोगों से जमीन पर लेटने को कहा। फिर मैंने बाड़ में एक छेद देखा और बच्चों को उस ओर जाने को कहा। इससे पहले कि आतंकवादी हमारे पास आ पाते, हम वहां से भाग निकले।’

पर्यटन हमारी रोजी-रोटी

उन्होंने कहा, ‘मैं वापस लौटा तो अग्रवाल जी की पत्नी दूसरी दिशा में भाग गई थीं। मैंने उन्हें करीब डेढ़ किलोमीटर दूर पाया और अपनी कार में वापस लाया। मैं उन्हें सुरक्षित श्रीनगर ले गया।’ तभी उन्हें एक दुखद समाचार वाला फोन आया, ‘मुझे बताया गया कि मेरे चचेरे भाई हमले में मारे गए।’ हमले की निंदा करते हुए नजाकत ने कहा, ‘पर्यटन हमारी रोजी-रोटी है। इसके बिना हम बेरोजगार हैं और हमारे बच्चों की शिक्षा इसी पर निर्भर है। आतंकवादी हमला हमारे दिल पर हमला जैसा है। हमने अपनी दुकानें और व्यवसाय बंद कर दिए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हम अपने आतिथ्य के लिए जाने जाते हैं और मुझे विश्वास है कि पर्यटक आएंगे। सुरक्षा बलों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए।’

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