राजसमन्द

लोक अधिकार मंच ने विचार गोष्ठी का आयोजन किया

suresh bhat
लोक अधिकार मंच ने विचार गोष्ठी का आयोजन किया
लोक अधिकार मंच ने विचार गोष्ठी का आयोजन किया

राजसमंद। पिछले 60 वर्षों में लोगें ने बनास नदी का सम्पूर्ण रूप से हरण कर लिया है। इसका अतित्व खतरे में है। हमें इस युमना स्वरूप बनास नदी को पुनरू पेड़ लगाकर इसकी रक्षा करने की आवश्यकता है। वहीं बनास नदी के पेटे से दिन रात बजरी का दोहन करते इसे हर जगहों से रौंद डाला है इसे भी रोकना होगा। इसके लिए सभी सामाजिक संगठनों को एक जुट होने की आवश्यक है। इसके लिए अपना ट्रस्ट द्वारा अपना भारत एवं अपना मंच के संगठन का निर्माण कर इसकी शुरुआत की जा रही है। यह विचार प्रकृति की सुरक्षा को लेकर की गई सात दिवसीय पदयात्रा में लोक अधिकार मंच की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी में मंच के दिनेशचन्द्र सनाढ्य ने व्यक्त किए। प्रकृति मानव केंद्रित जन आंदोलन से जुड़े घनश्याम ने कहा कि वर्तमान में विकास का मापदंड पैसे ओर सत्ता से आंका जाता है जो जीवन के हित में नहीं है। हमें प्रकृति व मानव को केन्द्र में रखकर विकास का मापदण्ड निश्चित कारना होगा तभी प्रकृति एवं मानव जीवन को बचाया जा सकता है। गोष्ठी में रामचन्द्र पालीवाल, अरविन्द मुखिया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अम्बाशंकर उपाध्याय ने पदयात्रियों एवं अतिथियों का का इकलाई ओढ़ाकर स्वागत किया। इस दौरान मोहन जोशी ने पदयात्रियों, सहयोग करने वाले लोगों एवं सभी संगठनों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर राजेंद्र राही, घनश्याम सनाढ्य, भेरूशंकर आदि उपस्थित थे।
राजसमंद। लोक अधिकार मंच की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी में चर्चा करते उपस्थित सदस्य। 

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