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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामों को लेकर संघ और बीजेपी में फंसा है पेच!

paliwalwani
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामों को लेकर संघ और बीजेपी में फंसा है पेच!
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामों को लेकर संघ और बीजेपी में फंसा है पेच!

संघ संजय जोशी और वसुंधरा राजे सिंधिया पर अडिग तो भाजपा इन दोनों नामों पर राजी नहीं

पीएम मोदी के रिटायरमेंट की नजदीक आ रही तारीख पर भी हुई चर्चा, उनके बाद कौन? उपजा नया सवाल- क्या चाणक्य बन पाएंगे चंद्रगुप्त!

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर जिसकी नियुक्ति होगी वह निहसंदेह संघनिष्ठ होगा। जेपी नड्डा जैसा व्यक्ति तो अब कतई नहीं होगा : स्वामी चिन्मयानंद

कैलाश सिंह

बेंगलूरु. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नई नियुक्ति को लेकर हिंदू नव वर्ष में रामनवमी तक नये नाम की घोषणा करने की तारीख राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने निर्धारित कर दी थी लेकिन भाजपा हाई कमान अभी तक संघ द्वारा जिन दो नामों पर मंजूरी दी गई थी उस पर सहमत होने की बजाय वर्तमान अध्यक्ष जे पी नड्डा का एक्सटेंशन करने के साथ नये नामों को देकर फेहरिस्त बढ़ाता रहा है, इस कारण अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है।

संघ के सूत्र बताते हैं कि बेंगलूरु में पिछले हफ़्ते संघ की हुई तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में भाजपा अध्यक्ष के साथ पीएम मोदी के सम्मानजनक रिटायरमेंट 75 साल की तारीख 17 सितंबर 2025 पर भी चर्चा हुई। भाजपा में राजनेताओं के अवकाश ग्रहण की ये उम्र पीएम नरेंद्र मोदी ने संघ से सहमति लेकर निर्धारित की थी, अब वही तिथि आने में महज छह महीने रह गए हैं, उनके सम्मानजनक रिटायरमेंट के लिए तैयारी पर भी चर्चा हुई।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सक्रिय राजनीति से 75 साल बाद अवकाश ग्रहण करने की निर्धारित अवधि के चलते ही लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा जैसे कद्दावर नेताओं को भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में बैठना पड़ा। इसी तरह 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान सुमित्रा महाजन को भी पीछे हटना पड़ा, हालांकि श्रीमती महाजन ने खुद हटकर अपनी सीट से पार्टी के निर्धारित प्रत्याशी शंकर लालवानी को जीत दिलाने में भूमिका निभाईं थी।

पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने चर्चा में साफ़ कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अब जेपी नड्डा जैसा व्यक्ति नहीं होगा, जो बनेगा वह निश्चित तौर पर संघनिष्ठ होगा। भाजपा के जो भी नेता हों या कथित हाई कमान, कोई भी संघ को दरकिनार करके अध्यक्ष पद पर अपना फैसला नहीं थोप सकता है। संघ के दर्जनों अनुसांगिक संगठनों में भाजपा भी शुमार है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह विभिन्न अनुसांगिक संगठन अपने क्षेत्रों में काम करते हैं उसी तरह भाजपा भी राजनीतिक क्षेत्र में काम करती है लेकिन इस पार्टी समेत सभी संगठनों को संघ की सहमति से ही बड़े पदों पर बैठाया जाता है। संघ की ही सहमति पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ। उसी तरह भाजपा के अगले अध्यक्ष या पीएम पद पर भी जो बैठेगा उसमें संघ की भूमिका अहम होगी।

भाजपा सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक पार्टी के कथित चाणक्य बीते एक साल से चंद्रगुप्त बनने की फिराक में हैं, यही कारण है कि 2014 से वह लगातार खुद को नम्बर दो की कुर्सी पर स्थापित किये हुए हैं। इसी कारण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर वह अपना स्पोक्समैन चाहते हैं जैसे कि जेपी नड्डा ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि भाजपा को अब किसी अन्य संगठन की जरूरत नहीं है, हम खुद सक्षम हैं।

इस दावे की हवा उसी चुनाव में तब निकल गई जब संघ ने किनारा कर लिया और सीटें कम हो गईं। बाद में संघ और भाजपा के बीच जारी गतिरोध दूर हुआ लेकिन अध्यक्ष पद को लेकर पेच फंसा है। संघ आज भी दो नाम संजय जोशी और वसुंधरा राजे सिंधिया पर अडिग है। इनमें एक नाम मोदी को और दूसरा शाह को खटक रहा है। अब राम नवमी के बाद नये अध्यक्ष के नाम की घोषणा को लेकर भाजपा के राजनीतिक गलियारे में मौसम के बढ़ते तापमान की तरह पारा बढ़ा नज़र आयेगा।

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