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उजड़ी गृहस्थी देखकर भर आए आंसू, बाढ़ का पानी उतरा तो 3 दिन बाद गांव लौटे, मकान तब्दील हुए मलबे में

Paliwalwani
उजड़ी गृहस्थी देखकर भर आए आंसू, बाढ़ का पानी उतरा तो 3 दिन बाद गांव लौटे, मकान तब्दील हुए मलबे में
उजड़ी गृहस्थी देखकर भर आए आंसू, बाढ़ का पानी उतरा तो 3 दिन बाद गांव लौटे, मकान तब्दील हुए मलबे में

ग्वालियर में सिंध और पार्वती नदी की तबाही की तस्वीर अब सामने आ रही है। डबरा तहसील का चांदपुर गांव पूरी तरह से तबाह हो गया है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांव की मनीषा बघेल अपने दो भाइयों के साथ गांव लौटी। घर का एक कमरा छोड़कर सबकुछ मलबा में बदल गया है। 40 क्विंटल गेहूं खराब हो गया है। तीनों मलबे में गृहस्थी के सामान तलाश रहे हैं। मनीषा ने कहा- तबाही का जो मंजर देखा है वह कभी भूल नहीं पाएगी।

यह दर्द सिर्फ मनीषा और उसके भाइयों का नहीं है। डबरा-भितरवार के 46 गांव के करीब 20 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आए। अकेले डबरा के चांदपुर गांव में 580 मकान पानी में डूब गए थे। इनमें से 260 कच्चे और पक्के मकान मलबा में बदल गए हैं। तबाही के 3 दिन बाद बाढ़ का पानी उतरने पर धीरे-धीरे गांव के लोग वापस लौट रहे हैं। उजड़ी गृहस्थी देखकर उनकी आंखे भर आई हैं। किसी का घर तबाह हो चुका है तो किसी का घर किसी लायक नहीं बचा।

चांदपुर निवासी मनीषा बघेल उसके भाई अमित और विजय तीनों तबाही के तीन दिन बाद गांव लौटे। घर का एक कमरा छोड़ पूरा घर मलबे में बदल गया है। बचा कमरा भी जर्जर हो गया है। घर से कीचड़ हटाकर गृहस्थी को खोज रहे थे और रोते जा रहे थे। मनीषा का कहना है कि तबाही का जो मंजर उन्होंने देखा है वह उसे जिंदगी में कभी नहीं भूल पाएंगे।

मनीषा ने बताया कि बचपन में ही उसके मां-पिता गुजर गए थे। वह अपने दोनों भाइयों के साथ यहां रहती है। रिश्ते के चाचा-चाची ने जमीन दिलाई थी, जिससे वह किसी तरह गुजर बसर कर अपने भाइयों को पाल रही थी। जब बाढ़ का पानी गांव में भरा तो वह सारा सामान छोड़कर भाइयों को लेकर पलायन कर गए। तीन दिन राहत कैंप में रहे। अब जब घर लौटे हैं तो सब कुछ तबाह हो चुका है। 40 क्विंटल गेहूं खराब हो चुका है। कई कीमती सामान मलबे में दब गए हैं।

ग्वालियर जिले में सिंध, पार्वती, नोन नदी के उफनने के बाद 46 गांव बाढ़ की चपेट में आए थे। यहां के करीब 20 हजार लोग प्रभावित हुए थे। कई गांव से कीमती सामान लेकर अपना सब कुछ छोड़कर पलायन कर गए थे। जिन लोगों ने गांव में रहने की सोची थी वह गहरे संकट में फंस गए थे। 17 रेस्क्यू स्थल बनाए गए हैं। शुक्रवार को 14.5 MM बारिश हुई है। नदियां भी खतरे के निशान के लगभग ही चल रही हैं। शुक्रवार तक 3 दिन में करीब 300 से ज्यादा लोगों रेस्क्यू करके बाढ़ से बचाया गया है। 8250 लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। 25 से ज्यादा राहत शिविर बनाए गए हैं। यहां पलायन करने वाले लोगों को कपड़े, खाना और अन्य इंतजाम किए गए हैं।

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