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जगन्नाथ मंदिर में बदल रहे हैं नियम : जारी रहेगी निःशुल्क दर्शन
Paliwalwaniजगन्नाथ मंदिर में बदल रहे हैं नियम
- ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में सिर्फ रथयात्रा ही नहीं बल्कि साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। खास तौर पर दुर्गापूजा के समय पश्चिम बंगाल से काफी संख्यक पर्यटक पुरी का रुख करते हैं। इसके अलावा बड़ा चार धाम यात्रा (जगन्नाथ पुरी, द्वारका, बद्रीनाथ, रामेश्वरम) पर आने वाले भक्त भी यहां आते रहते हैं। मगर अब पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दर्शन के नियमों में बदलाव होने वाला है।
अब तक यहां भक्तों से कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता था लेकिन अब मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्तों को प्रवेश शुल्क देना पड़ेगा। हालांकि यह नियम नया नहीं है। करीब 7 साल पहले भी मंदिर में यह नियम लागू था, जिसे एक बार फिर से लागू करने की तैयारियां चल रही हैं।
जारी रहेगी निःशुल्क दर्शन : मंदिर के अंदर प्रवेश करने के लिए फिलहाल भक्तों को कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ता है। भक्त मंदिर के गर्भगृह में ‘भीतर कथा’ और ‘बहारा’ तक जाकर भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के दर्शन कर पाते हैं। हालांकि अब इसी नियम में परिवर्तन किया जा रहा है। जो भक्त मंदिर के अंदर गर्भगृह में जाकर भगवान के दर्शन करना चाहते हैं उन्हें टिकट खरीदना पड़ेगा लेकिन जो भक्त बाहर से ही भगवान के दर्शन करना चाहते हैं उनके लिए निःशुल्क दर्शन की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी।
7 साल पहले भी लागू था यह नियम : मंदिर प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार करीब 7 साल पहले तक मंदिर के अंदर गर्भगृह में ‘भीतर कथा’ और ‘बहारा’ नामक स्थान पर भक्तों को प्रवेश करने के लिए निर्धारित शुल्क का टिकट खरीदना पड़ता था। भक्त इस स्थान से प्रभु जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के दर्शन एकदम सामने से कर पाते थे।
मंदिर के गर्भगृह के अंदर ‘भीतर कथा’ नाम की यह जगह भगवान जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा की मूर्तियों से महज 30 फीट की दूरी पर है। यानी 30 फीट की दूरी से भक्त भगवान के दर्शन कर पाता था। इसके लिए भक्तों को प्रति व्यक्ति ₹50 चुकाने पड़ते थे। लेकिन यह व्यवस्था दिन भर लागू नहीं होती थी। दिन के एक खास समय पर ही टिकट लेकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती थी।
क्यों बंद किया था : टिकट लेकर दर्शन करने की व्यवस्था साल 2016 तक लागू थी। लेकिन 2016 में जब मंदिर में मरम्मत कार्य शुरू किया गया, तब रातोंरात इस नियम को बंद कर दिया गया। इसके बाद से ही अब तक गर्भगृह में भक्त निःशुल्क प्रवेश कर पाते थे। अब मंदिर की मरम्मत पूरी हो चुकी है। इसलिए टिकट व्यवस्था को फिर से शुरू करने के बारे में मंदिर प्रशासन सोच-विचार कर रही है। हालांकि अभी तक यह निर्धारित नहीं किया जा सका है कि टिकट का मूल्य कितना होगा। इस बारे में मंदिर प्रशासन का कहना है कि सभी सेवायत संगठनों से बात करने के बाद ही प्रवेश टिकट का मूल्य निर्धारित होगा। संभावना है कि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश के लिए भक्तों को ₹100 चुकाना पड़े।
क्या-क्या मिलेगा फायदा : अगर भक्त गर्भगृह के बाहर से ही भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर सकता है तो वह प्रवेश टिकट क्यों खरीदेगा? वर्तमान समय में भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए घंटों लाइन लगाकर खड़ा रहना पड़ता है। कई बार दर्शन करने में 4 घंटे भी लग जाते हैं। टिकट खरीदकर दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या कम रहेगी। इसलिए संभावना है कि भक्त आराम से और जल्दी भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर सकें।
संभव है कि टिकट व्यवस्था के फिर से शुरू हो जाने के बाद आम भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश नहीं करने दिया जाए। इसलिए जो भक्त टिकट लेकर जाएंगे, सिर्फ उन्हें ही गर्भगृह के ‘भीतर कथा’ में जाकर दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी।
आम भक्तों को चलते-चलते ही भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने पड़ते हैं लेकिन टिकट लेकर दर्शन करने के लिए जाने पर भक्तों को 2-4 मिनट रुककर भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के दर्शन करने का मौका मिलेगा।
बता दें, आम दिनों में पुरी के जगन्नाथ मंदिर में करीब 50 हजार भक्त दर्शन के लिए आते हैं लेकिन उत्सवों के मौके पर यह संख्या दोगुनी हो जाती है।