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जोशीमठ को लेकर सदियों पहले सनथ संहिता में की गई थी भविष्यवाणी : लोगों का मानना है कि देवता नाराज हैं...!

Paliwalwani
जोशीमठ को लेकर सदियों पहले सनथ संहिता में की गई थी भविष्यवाणी : लोगों का मानना है कि देवता नाराज हैं...!
जोशीमठ को लेकर सदियों पहले सनथ संहिता में की गई थी भविष्यवाणी : लोगों का मानना है कि देवता नाराज हैं...!

जोशीमठ :

उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath Crisis) में आई दरारें अभी भी लोगों की परेशानियों को बढ़ा रही हैं. लोग अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. 700 से अधिक घरों में दरारों कि चिह्नित किया गया. दरारों के चलते करीब 180 लोग बेघर हो चुके हैं. इस बीच अब जोशीमठ में आई दरारों को एक सदियों पुरानी भविष्यवाणी से जोड़ा जा रहा है. यह भविष्यवाणी जोशीमठ और आसपास के गांवों में सदियों से लोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ट्रांसफर करते रहे हैं.

सुवाई में होगी भगवान बदरीनाथ की पूजा

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों का दावा है कि जोशीमठ के रास्ते बदरीनाथ मंदिर (Badrinath Temple) पहुंचने का रास्ता कठिन हो जाएगा. भगवान बदरीनाथ (Lord Badrinath) की पूजा जोशीमठ से करीब 22 किलोमीटर दूर सुवाई में होगी. सुवाई गांव तपोवन से थोड़ी दूर पर आगे है. सुवाई में 8530 फीट की ऊंचाई पर स्थित भविष्य बदरी मंदिर (Bhavishay Mandir) में इस पूजा को कराया जाएगा. भगवान बदरी विशाल (Badri Vishal) के धाम के स्थान परविर्तन को लेकर प्राचीन ग्रंथ सनथ संहिता में जिक्र किया गया है.

भविष्य बदरी मंदिर में भगवान बद्रीनारायण स्वरूप की होगी पूजा

इसमें कहा गया है कि जब जोशीमठ में नरसिंह की मूर्ति का हाथ गिर जाएगा. विष्णुप्रयाग के पास जय और विजय के पहाड़ ढह जाएंगे तो बद्रीनाथ का वर्तमान मंदिर दुर्गम हो जाएगा. इस परिस्थिति में भविष्य बदरी मंदिर में भगवान बद्रीनारायण स्वरूप की पूजा होगी. बता दें कि जोशीमठ में भगवान नरसिंह का मंदिर है. यहां पर स्थित भगवान नरसिंह ध्यान अवस्था में स्थापित हैं. भगवान नरसिंह को भगवान विष्णु के अवतारों में एक माना गया है. उनकी मूर्ति का हाथ बालों जितना पतला हो गया है. हालांकि अभी तक गिरा नहीं है.

लोगों का मानना है कि देवता नाराज हैं

लोग सदियों पुरानी भविष्यवाणी पर हैरानी जता रहे हैं. जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह मंदिर के मुख्य पुजारी संजय प्रासद डिमरी ने कहा कि स्थानीय लोगों को लगता है कि शायद देवता नाराज हैं. इसलिए पवित्र शहर में परेशानी करने वाली घटनाएं सामने आनी शुरू हुई हैं. प्राचीन भविष्य के बारे में बात करते हुए पुजारी ने कहा कि नरसिंह मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी.

भविष्य बदरी में भगवान बदरीनाथ की एक और मूर्ति

पुजारी ने बताया कि मूर्ति शालिग्राम पर अवस्थित हैं. यहां भगवान नरसिंह की मूर्ति प्रत्येक गुजरते दिन के साथ अपनी भुजा पतली कर रही है. हम इसे हर दिन सुबह भगवान के जलाभिषेक के दौरान देखते हैं. इसके अलावा पुजारी ने दावा किया कि भविष्य बदरी में भगवान बदरीनाथ की एक और मूर्ति है, जो अपने आप उत्पन्न हुई और बीतते दिन के साथ बड़ी होती जा रही है. News18 

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