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माँ खादी की चादर दे दे मैं गाँधी बनजाऊं...!!!

paliwalwani
माँ खादी की चादर दे दे मैं गाँधी बनजाऊं...!!!
माँ खादी की चादर दे दे मैं गाँधी बनजाऊं...!!!

माँ...!!!

माँ खादी की चादर दे- दे मैं गाँधी बनजाऊं... यह वो लाइन हैं जो आपने किताबों में कभी न कभी पढ़ी होंगी या किसी उत्तर पुस्तिका में लिखी भी होंगी... एक बालक जो अपनी माँ से गाँधी जी के विचारों से प्रभावित होकर उनकी ही तरह खादी के वस्त्र पहने की जिद्द करता हैं और उन्ही की तरह जन जागरण करने निकलने का कहता हैं...

आज ठीक उसी तरह बाबा जयगुरुदेव के भक्त भी टाट से निर्मित पोषाक पहन कर युवाओं को मांस, मदिरा का त्याग करने और राष्ट्र, देश और समाज को शाकाहारी व सदाचारी रहने का सन्देश जन-जन तक पहुंचाने के कार्य में जुटे हुए हैं... हाल ही में शहर के नावदा पंथ में संत उमाकांत महाराज के आह्वान पर आयोजित दो दिसवीय कार्यक्रम के दौरान बुजुर्ग से दिखने वाले इन शख्स ने युवाओं को  मदिरा, सिगरेट, तम्बाखु जैसी जान लेवा बीमारी को छोड़ने का संदेश अपनी पीठ पर चस्पा किए गए  श्लोगन व बाबा जयगुरुदेव के वचनो व संदेशो के माध्यम से बुरे व्यसनों को त्यागने की सीख दी...

उन्होंने युवाओं, महिलाओं और युवतियों से भी  शाकाहारी और सदाचारी रहने की बात कही... हजारों की संख्या में पहुँचे गुलाबी परिधानो में उपस्थित जन समुदाय को प्रवचन भी दिया गया साथ ही भक्तों को नामदान देने के पश्चात गुरुदेव ने उनसे दक्षिणा के तोर पर उनकी सभी बुराइयाँ उनको देने की बात की और सभी भक्तों को शाकाहारी बने रहने की बात की...!!!

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