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बागेश्वर धाम की बढ़ी सुरक्षा: पंडित धीरेंद्र शास्त्री को जान से मारने की मिली धमकी : 25 पुलिसकर्मियों की एसआईटी गठित
Paliwalwaniरणधीर परमार
छतरपुर :
अपने दरबार में चमत्कार करने के दावे को लेकर देशभर में चर्चा में आए बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Shastri of Bageshwar Dham) को जान से मारने की धमकी मिली है. जिसके बाद मध्यप्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी कर दी गई है. डॉग स्क्वायड की टीम लगातार पूरे कैंपस को सर्च कर रही है. इसके साथ ही 25 पुलिसकर्मियों की एसआईटी गठित की गई है.
दरअसल बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है. एसआईटी में एडिशनल एसपी विक्रम सिंह को प्रभारी बनाया गया है. जिनके साथ 25 लोगों की टीम लगातार आरोपी की तलाश और सुरक्षा में लगाई गई है. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छत्तीसगढ़ के रायपुर में कथा कर रहे थे और उसके बाद अब वह अपने धाम बागेश्वर पहुंच गए हैं. उनके दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है.
ऐसे में विवाद के बीच बागेश्वर धाम में भक्तों का सैलाब देखते ही बनता है. यहां पर भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है. लोग सिर्फ एक ही जयकारे लगा रहे हैं जय बागेश्वर धाम. श्रद्धालुओं ने बताया कि हमें पता चला कि यहां पर महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पहुंचने वाले हैं. इसलिए हम लोग अपने घर से महाराज जी के दर्शन करने आए हैं.
कौन हैं बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ?
अभी बागेश्वर धाम की बागडोर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास है. पं. धीरेंद्र का जन्म 1996 में छतरपुर जिले के गढ़गंज गांव में हुआ था. उनका पूरा परिवार आज भी गाड़ागंज में रहता है. पं. धीरेंद्र शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और माता का नाम सरोज गर्ग है. धीरेंद्र के छोटे भाई शालिग्राम गर्गजी महाराज हैं. वह भी बालाजी बागेश्वर धाम को समर्पित है.
पं. धीरेंद्र शास्त्री के दादा पं. भगवान दास गर्ग भी इस मंदिर के पुजारी थे. कहा जाता है कि पं. धीरेंद्र का बचपन काफी मुश्किलों में बीता. जब वे छोटे थे तो परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि एक समय का भोजन ही मिल पाता था. धीरेंद्र शास्त्री ने कम उम्र से ही बालाजी बागेश्वर धाम में पूजा करना शुरू कर दिया था. पं. धीरेंद्र शास्त्री के दादाजी ने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा ली थी. इसके बाद वह गाड़ागंज पहुंचे थे.