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सीधी भर्तियों में खिलाड़ियों का 3% कोटा खत्म कर सकती है सरकार
Paliwalwani
हरियाणा प्रदेश सरकार खेल पॉलिसी में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सीधी भर्तियों में खिलाड़ियों का 3 प्रतिशत कोटा खत्म किया जा सकता है। इसका प्रस्ताव तैयार कर मुख्य सचिव को भेज दिया है। सरकार की मुहर के बाद आगे की प्रक्रिया होगी। इसके अलावा मेडल जीतने वालों को मेडल के अनुसार तय पदों पर भर्ती देने और स्पेशल ओलिंपिक के मेडल विजेताओं को नौकरी के बजाय पेंशन का प्रावधान भी किया जा सकता है।
विभाग का मानना है कि स्पेशल खिलाड़ी कोच की भूमिका सही से नहीं निभा सकते। इसको लेकर खेल विभाग ने 5 अफसरों की कमेटी का गठन किया है। इसमें खिलाड़ियों को भी शामिल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 1993 से भर्तियों में 3 प्रतिशत कोटा खिलाड़ियों के लिए है। खेल विभाग के निदेशक पंकज नैन ने कहा, ‘कोटा खत्म करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है।’
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ये हैं पॉलिसी में बदलाव की तीन मुख्य वजहें-
- खेल विभाग की जांच में करीब 2500 ग्रेडेशन सर्टिफिकेट में गड़बड़ियां मिली हैं। इसकी जांच विजिलेंस से कराने के आदेश भी दिए हैं। 2019 में हुई ग्रुप-डी के 18218 पदों की भर्ती में 1518 पद खिलाड़ियों के लिए निर्धारित थे। जांच में काफी संख्या में ग्रेडेशन सर्टिफिकेट सही नहीं मिले। इसलिए खेल विभाग के जरिए ही खिलाड़ियों की भर्ती करने की तैयारी चल रही है।
- खेल विभाग ने इसी साल फरवरी में खिलाड़ियों की जॉब पॉलिसी से एचसीएस-एचपीएस के पद हटा दिए थे और खेल विभाग में पद तय किए थे। इसके अनुसार, ग्रुप-ए में डिप्टी डायरेक्टर के 50, ग्रुप-बी में सीनियर कोच के 100, ग्रुप-बी में काेच के 150 और ग्रुप-सी में जूनियर कोच के 250 पद निर्धारित हैं। इन पदों पर सिर्फ खिलाड़ी ही भर्ती किए जाएंगे।
- स्पोर्ट्स एलिजिबल पर्सन जॉब पॉलिसी में बदलाव की बड़ी वजह पद नाम को मानी जा रहा है। ओलिंपियन को भी सीनियर कोच की पोस्ट मिल रही है, वहीं नेशनल व अन्य गेम्स के खिलाड़ियों को भी कोच का पद मिल रहा है। दोनों का नामों में ज्यादा फर्क नहीं है। इसीलिए मेडल के अनुसार ही पद व पदनाम दिए जाएंगे।
पिछले तीन सालों में ही हुए सबसे ज्यादा संशोधन
1993 में बनाई जॉब पॉलिसी में सीधी भर्तियों में खिलाड़ियों का 3% कोटा निर्धारित किया था। सितंबर 2018 में पॉलिसी में संशोधन किया गया। इसमें ओलिंपियन खिलाड़ियों को एचसीएस-एचपीएस की नौकरी का प्रावधान रखा। लेकिन, इस पॉलिसी कोर्ट में चैलेंज कर दिया गया। मार्च 2019 और सितंबर 2019 में पॉलिसी में फिर संशोधन किया गया। फरवरी 2021 को जारी पॉलिसी में एचसीएस-एचपीएस के पद हटा दिए। सरकार अब फिर पॉलिसी में बदलाव की तैयारी कर रही है।
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