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सदियों पुराने न्यूटन के नियम : गांव से मिला जबरदस्त आइडिया
Paliwalwaniन्यूटन का नियम बना वरदान
रांची जिले के अनगड़ा प्रखंड के राजाबेडा पंचायत अंतर्गत तिरला कोचा के ग्रामीणों ने पहाड़ी के जलस्त्रोत को पाइप लाइन के माध्यम से ना सिर्फ घर-घर पहुंचाने की योजना बनाई, बल्कि पहाड़ी से निरंतर रिसने वाले जल को अपने खेत तक पहुंचाने का काम भी किया।
पहाड़ी से रिसते पानी को देखकर मिला आइडिया
इसी दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रही संस्था रामकृष्ण मिशन के वैज्ञानिकों ने जब पहाड़ी से निरंतर रिसने वाले जल स्त्रोत को देखा, तो उनकी बांझे खिल गयी। पहाड़ी के नीचे पानी को रोकने के लिए जलछाजन पद्धति से एक संरचना का निर्माण किया गया और वहां से पाइप लाइन के माध्यम से ना सिर्फ तिरलाटोली के तीन दर्जन घरों तक पहुंचायी गयी,बल्कि खेतों में सिंचाई की भी सुविधा उपलब्ध करायी गयी। पाइप लाइन से घर-घर तक और खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए किसी तरह के मशीन या बिजली की जरुरत नहीं पड़ती है।
गांववालों ने भी की मेहनत कड़ी मेहनत
पहाड़ी पर बसे तिरला कोचा गांव के लोगों ने लगातार तीन महीने तक श्रमदान करके भूमिगत जल और बारिश के पानी के बेहतर इस्तेमाल का एक अनूठा प्रयास किया है। ग्रामीण सोमरा बेदिया और पंकज बेदिया ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा किए गए अथक प्रयास का सकारात्मक परिणाम भी अब गांव में दिखने लगा है। पहाड़ पर स्थित होने के बावजूद यहां के खेत और कुएं पानी से लबालब भरे दिखते हैं। गर्मी के दिनों में भी ग्रामीणों को पानी के लिए किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है और अब वो एक फसल की जगह तीन फसलें उगा रहे हैं।
गांव की बदली सूरत
जल प्रबंधन का लाभ गांव के किसानों और खेतों को तो मिल ही रहा है। साथ ही महिलाओं के जीवन में भी काफी बदलाव आया है। गांव की रहने वाली ललिता देवी ने बताया कि कपड़े धोने और नहाने समेत अन्य घरेलू कार्यों के लिए महिलाओं को अब दूरदराज से पानी लाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। पहाड़ और पठार से घिरे झारखंड में वाटर मैनेजमेंट बेहद ही जरूरी है। इस पद्धति को अपनाकर बंजर और परती भूमि को सिंचित कर, कृषि योग्य बनाया जा सकता है। ऐसा करने से ग्रामीणों को सीधा लाभ मिलेगा।