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भारत सरकार की निजीकरण की कोशिशों को एक बड़ा झटका : MTNL और BSNL के रिवाइवल प्लान को लगा झटका, जानिए वजह
Paliwalwani
भारत सरकार की निजीकरण की कोशिशों को एक बड़ा झटका लगा है। नीलामी प्रक्रिया में सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल (MTNL) और बीएसएनएल (BSNL) की संपत्तियों में निवेशकों ने कोई रुचि नहीं दिखाई हैं। सरकार ने दोनों कंपनियों की कुल छह संपत्तियों को नीलामी के लिए रखा था। जिसमें बीएसएनएल (BSNL) की चार और एमटीएनएल (MTNL) की दो संपत्तियां शामिल थी। नीलामी में एमटीएनएल (MTNL) और बीएसएनएल (BSNL) की नॉन-कोर संपत्तियों को नीलामी के लिए रखा था। जिसमें फ्लैट्स और कंपनी के पास मौजूद खाली प्लॉट शामिल है।
संपत्तियों का आरक्षित मूल्य बाजार भाव से ज्यादा:
अंग्रेजी बिजनेस न्यूज वेबसाइट मनीकंट्रोल के मुताबिक नीलामी में एमटीएनएल (MTNL) और बीएसएनएल (BSNL) की नॉन-कोर संपत्तियों में निवेशकों की रुचि न होने की बड़ी वजह महंगे वैल्यूएशन हैं। जो आरक्षित मूल्य सरकार की तरफ से तय किया गया है, उसके मुकाबले संपत्तियों का मूल्य 50 से 80 फ़ीसदी तक कम है। वहीं, वैल्यूएशन पर एक्सपर्ट ने उम्मीद जताई है कि नीलामी की आगे की प्रक्रिया में आरक्षित मूल्य में कमी देखने को मिल सकती है।
MTNL और BSNL को घाटे से उबारने की कोशिश कर रही है सरकार:
आपको बता दें, सरकारी टेलीकॉम कंपनियां एमटीएनएल (MTNL) और बीएसएनएल (BSNL) लंबे समय से घाटे में चल रही हैं। जिसके लिए सरकार की तरफ से 2019 में रिवाइवल पैकेज का ऐलान किया गया था। एमटीएनएल (MTNL) और बीएसएनएल (BSNL) की संपत्तियों को बेचने की कोशिश उसी पैकेज का हिस्सा है। जिसके तहत कंपनियों की नॉन-कोर संपत्तियों को बेचकर 3000 करोड़ की जुटाने की योजना सरकार ने बनाई थी। नॉन-कोर संपत्ति कंपनी की वह संपत्ति होती है जिससे कंपनी कोई भी आय अर्जित नहीं करती है।
एयर इंडिया के निजीकरण से सरकार उत्साहित:
हाल ही में सरकार ने एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ के मूल्य पर टाटा समूह को बेचा है। जिसके बाद सरकार निजीकरण को लेकर काफी उत्साहित दिखाई दे रही है। वर्तमान में भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI), पवन हंस लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री की योजनाएं सरकार ने तेज कर दी हैं। 1 फरवरी को दिए अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के लिए सरकार का निजीकरण लक्ष्य 65 हजार करोड़ रखा है।