मध्य प्रदेश
PM MODI INNOVATION BOOK : रीवा की बिजली से चलती से दिल्ली की मेट्रो, 6 हजार फुटबॉल मैदानों से बड़ा है प्रोजेक्ट
Paliwalwaniमध्यप्रदेश के रीवा में बना 750 मेगावॉट का सोलर प्लांट (रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड) दुनिया के बड़े सोलर प्रोजेक्ट में से एक है। यहां अब 37 लाख यूनिट बिजली बनने लगी है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था और इसे इनोवेशन बुक में भी जगह दे दी है। रीवा जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर गुढ़ इलाके की बदवार पहाड़ी में प्लांट 16005 हेक्टेयर में फैला है। यानी यह 6613 फुटबॉल मैदान के बराबर है। 1270 हेक्टेयर जमीन राजस्व विभाग की है। 335 हेक्टेयर प्राइवेट जमीन को कलेक्टर रेट से डबल मुआवजा देकर लिया गया है।
सोलर प्लांट में 250-250 मेगावॉट के तीन प्लांट हैं। एक प्लांट महिंद्रा कंपनी, दूसरा एकमें जयपुर सोलर पावर लिमिटेड और तीसरा एरिन्सन क्लीन संभाल रही है। हर दिन 37 लाख यूनिट बिजली में से 24% दिल्ली मेट्रो को सप्लाई की जाती है। इस प्लांट की अहमियत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इनोवेशन बुक में शामिल है। यह उनके ड्रीम प्रोजेक्ट भी शामिल है। वर्ल्ड बैंक की ओर से प्रेसीडेंट अवॉर्ड तक मिल चुका है।
प्लांट की आधारशिला तत्कालीन ऊर्जा मंत्री व वर्तमान रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला के प्रयास से मई 2017 में रखी गई थी। 4300 करोड़ की लागत से तैयार सोलर प्लांट में प्रोडक्शन 3 जनवरी 2020 से चालू हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में सोलर प्लांट का उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 जुलाई 2020 को किया।
25 साल में दिल्ली मेट्रो से 1220 करोड़ का फायदा होगा
ऊर्जा विकास निगम के कार्यपालन यंत्री एसएस गौतम ने बताया कि प्लांट का संचालन मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड और भारतीय सौर ऊर्जा निगम कर रहा है। अब तक का सबसे बड़ा करार (24% बिजली सप्लाई का) दिल्ली मेट्रो से हुआ है। दिल्ली मेट्रो को 4.50 रुपए में बिजली दी जा रही है। 25 साल में दिल्ली मेट्रो से 1220 करोड़ का फायदा होगा।
कभी एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट था
बुनियाद रखे जाने से उद्घाटन तक रीवा सोलर प्लांट एशिया में सबसे बड़ा था। अब दूसरे और भी प्लांट बन गए हैं। 2.97 रुपए प्रति यूनिट बिजली के लिए तीन साल पहले रीवा अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट के 17 एमओयू (करार) पर मुहर लग गई। तब बिजली की बोली के लिए 33 घंटे तक प्रक्रिया चली थी। इसमें फ्रांस, जापान, इटली, सिंगापुर सहित 6 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने हिस्सा लिया। इसके बाद सबसे सस्ती सौर ऊर्जा के रेट 2.97 रुपए प्रति यूनिट आए।