मध्य प्रदेश

200 सांसद इस देश की आत्मा के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, हिन्दू धर्म के नाम पर धब्बा : कथावाचक प्रदीप मिश्रा की तीखी प्रतिक्रिया

sunil paliwal-Anil Bagora
200 सांसद इस देश की आत्मा के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, हिन्दू धर्म के नाम पर धब्बा : कथावाचक प्रदीप मिश्रा की तीखी प्रतिक्रिया
200 सांसद इस देश की आत्मा के साथ विश्वासघात कर रहे हैं, हिन्दू धर्म के नाम पर धब्बा : कथावाचक प्रदीप मिश्रा की तीखी प्रतिक्रिया

सिहोर. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. हमले में कई निर्दोष पर्यटकों की जान गई, जिससे जनमानस में आक्रोश और दुख की लहर दौड़ गई है. इस घटना के बाद देश के प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा का एक तीखा बयान सामने आया है, जिसने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है.

प्रदीप मिश्रा ने अपने बयान में विपक्ष के 200 सांसदों को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें "हिन्दू के नाम पर कलंक" बताया. उन्होंने कहा, हिंदू सांसद वक्फ बोर्ड बिल के समर्थन में बहस करते रहे। 

"जो लोग संसद में बैठकर वक्फ बोर्ड बिल के समर्थन में बहस करते रहे। वो हिंदू समाज के नाम पर कलंक है उन्हें "कश्मीर घाटी में भेज देना चाहिए ताकि वे जमीनी सच्चाई का सामना कर सकें।कश्मीर में निर्दोषों की हत्या पर मौन हैं, वे हिन्दू धर्म के नाम पर धब्बा हैं. ऐसे 200 सांसद इस देश की आत्मा के साथ विश्वासघात कर रहे हैं..."

उन्होंने यह भी कहा कि जब देश संकट में होता है, तब राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता और धर्म की रक्षा होनी चाहिए.

"यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का है. मगर अफसोस, कुछ नेता अपने मौन से आतंकी ताकतों का मनोबल बढ़ा रहे हैं..."

इस बयान पर सियासी पारा चढ़ गया है. कई विपक्षी नेताओं ने मिश्रा जी के बयान को "घृणा फैलाने वाला" बताया है, वहीं कुछ समर्थकों ने इसे "जनभावनाओं की आवाज़" बताया है. सोशल मीडिया पर भी यह बयान ट्रेंड कर रहा है, जहाँ लोग मिश्रित प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं...

बता दें : 22 अप्रैल 2025 को अनंतनाग जिले के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए इस आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले की जिम्मेदारी पाक-समर्थित आतंकी संगठन 'द रेज़िस्टेंस फ्रंट' ने ली है. कथावाचक प्रदीप मिश्रा के इस बयान ने जहां एक ओर आतंकवाद के खिलाफ आक्रोश को स्वर दिया है, वहीं दूसरी ओर इससे राजनीतिक और सामाजिक बहस भी तेज हो गई है. अब देखना होगा कि सरकार और विपक्ष इस गंभीर परिस्थिति में राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए एकजुट हो पाते हैं या नहीं.

sunil paliwal-Anil Bagora

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